गुल्ली डंडा के खेल से गुलज़ार हुआ राजभवन

एक जमाने में गुल्ली डंडा की लोकप्रियता अपने चरम पर थी इसकी लोकप्रियता के चलते हिंदी कथा सम्राट प्रेमचंद ने ‘‘गुल्ली-डंडा‘‘ शीर्षक से ही एक प्रसिद्ध कहानी की रचना की थी। गाँवों के गली-कूचों में आज भी बच्चे ये खेल खेलते दिखाई पड़ते हैं।

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लखनऊ (राज्य मुख्यालय) । उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के आधिकारिक निवास राजभवन में वृहस्पतिवार को परंपरागत खेल गुल्ली डंडा का आयोजन किया गया।  राज्यपाल  आनंदीबेन पटेल के प्रेरणा से आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत 01 जनवरी, 2023 से राजभवन में परम्परागत खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। उसी श्रृंखला में में वृहस्पतिवार को दिनभर गुल्ली-डंडा खेला गया। गुल्ली डंडा की प्रतियोगिता में 18 टीमों ने प्रतिभागिता की जिसमें प्रत्येक टीम में 06 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया।

आपको बता दें कि गुल्ली-डंडा भारत की गलियों और खुले मैदानों मे खेला जाने वाला बेहद रोमांचक खेल है।  गुल्ली-डंडा के मैच में प्रत्येक प्रतिभागी में उत्साह साफ दिखाई दे रहा था। घरों में सहज उपलब्ध लकड़ी के छोटे टुकड़े और डंडे से बच्चों के मध्य खेला जाने वाला ये खेल आज इलेक्ट्रानिक खेलों की दुनिया में लुप्तप्राय हो चला है।

एक जमाने में गुल्ली डंडा की लोकप्रियता अपने चरम पर थी इसकी लोकप्रियता के चलते हिंदी कथा सम्राट प्रेमचंद ने ‘‘गुल्ली-डंडा‘‘ शीर्षक से ही एक प्रसिद्ध कहानी की रचना की थी। गाँवों के गली-कूचों में आज भी बच्चे ये खेल खेलते दिखाई पड़ते हैं। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की पे्ररणा से राजभवन में गतवर्षों से ऐसे भारतीय परम्परागत खेलों का वार्षिक आयोजन किया जा रहा है, जो बेहद सीमित संसाधनों में शहरों, कस्बों, गाँवों के बच्चों के मध्य घरों, गलियों, मैदानों में खेले जाते रहे हैं, और बेहद लोकप्रिय भी रहे हैं।

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