अपनी धुन में चला जाता एक बाबा
लखनऊ ।बाबा जी भरी दोपहरिया में पैदल चले जा रहे थे । मुझे अर्जुनगंज रेलवे ओवरब्रिज पर चढ़ते दिखायी पडे़ तो मैंने...
बेहोश नागरिक को देख कर राष्ट्रपति दौड़ पड़े पीछे पीछे वित्तमंत्री, सिक्योरिटी बदहवास
दिल्ली में मंगलवार को राष्ट्रीय कॉर्पोरेट सामाजकि दायित्व पुरस्कार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान सुरक्षा में तैनात एक महिला सुरक्षाकर्मी...
एक लड़की ऐनी… दूध मुंहे बच्चे के साथ पति ने घर से निकाल दिया...
लखनऊ / तिरुवनंतपुरम। कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता! एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो। इस शेर...
क्या हुआ थाने में! जब किसान ने अपना नाम लिखा और ठप्पा लगाया...
सन 1979 की बात है। शाम 6 बजे के करीब एक किसान इटावा जिला के ऊसराहार थाने में मैला कुचैला कुर्ता धोती...
लोकसेवा साधन है जबकि लेखन साध्य : बालेन्दु द्विवेदी
उपन्यास वाया फुरसतगंज इलाहाबाद की पृष्ठभुमि पर केंद्रित है और इसमें इलाहाबाद की ठेठ संस्कृति को उकेरने की कोशिश की गई है दरअसल वाया...
वो जानता था कि भाला 85 मीटर के पार तो जाना ही है इसलिए...
लखनऊ / दिल्ली । भाला फेंक कर मुड़ कर ना देखना आत्मविश्वास की पराकाष्ठा थी। वह जानता था के जिस स्टांस से भाला फेंका...