राज्यपाल से रुष्ट शिव सेना जायेगी कोर्ट

जब राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया है तो शिवसेना इसे भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में है। शिवसेना का कहना है कि राज्यपाल ने राजनीतिक दलों को बहुमत का आंकड़ा जुटाने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया और आनन-फानन में राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा कर दी है।

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मुम्बई। महाराष्ट्र का सियासी संग्राम अब सुप्रीम कोर्ट में शिफ्ट होता दिख रहा है। शिवसेना ने सरकार बनाने के लिए राज्यपाल की ओर से एनसीपी और कांग्रेस से समर्थन पत्र लेने के लिए समय नहीं दिए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

अब जब राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया है तो शिवसेना इसे भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में है। शिवसेना का कहना है कि राज्यपाल ने राजनीतिक दलों को बहुमत का आंकड़ा जुटाने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया और आनन-फानन में राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा कर दी है।

शिवसेना के वकील राजेश ईमानदार ने बताया, ‘हमने महाराष्ट्र गवर्नर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। हमने याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की है। रजिस्ट्रार की ओर से आज सुनवाई को लेकर अब तक कोई सूचना नहीं मिली है। अगर आज सुनवाई नहीं होती है तो कल हम सुनवाई का प्रयास करेंगे।’

उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति शासन अगर महाराष्ट्र में लग गया है तो उसके खिलाफ भी याचिका दायर करने पर विचार किया जा रहा है और हमने जो याचिका में आधार रखे हैं वह सुप्रीम कोर्ट के सामने रखेंगे और सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलने की पूरी उम्मीद है।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बोले, शिवसेना को सरकार बनाने के लिए वक्त नहीं देना भेदभावपूर्ण

महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर राजनीतिक घमासान जारी है। सोमवार रात को शिवसेना ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से सरकार बनाने के लिए और अधिक समय मांगा था। भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना के अनुरोध को ठुकरा दिया। राज्यपाल के इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस पीबी सामंत ने सवाल उठाए हैं।

उन्होंने राज्यपाल के इस फैसले को अतार्किक और पक्षपातपूर्ण बताया। दरअसल शिवसेना के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार रात को राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने की इच्छा जाहिर की। महाराष्‍ट्र में राष्‍ट्रपति शासन के लिए राज्‍यपाल की सिफारिश को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। वहीं शिवसेना इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज पीबी सावंत ने कहा कि राज्यपाल के इस फैसले को अतार्किक और भेदभावपूर्ण कहा। वहीं महाराष्ट्र के पूर्व महाअधिवक्ता श्री हरि अणे ने राज्यपाल के फैसले का समर्थन किया। उन्होंने ये भी कहा कि जो राजनीतिक परिस्थतियां उभर रही हैं, उसका निष्कर्ष राष्ट्रपति शासन ही प्रतीत होता है। गौरतलब है कि 24 अक्टूबर को नतीजे घोषित होने के 18 दिन बाद भी कोई भी पार्टी सरकार बनाने का दावा नहीं कर पाई है।

गौरतलब है कि सोमवार शाम को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एनसीपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था। इससे पहले शनिवार शाम को राज्यपाल ने बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था। लेकिन बीजेपी ने सरकार बनाने में असमर्थता जताई थी। एनसीपी के सूत्रों से आ रही खबर के मुताबिक जब तक कांग्रेस सरकार में शामिल नहीं होगी, तब तक वो शिवसेना के साथ नहीं जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज सावंत ने कहा कि राज्यपाल बीजेपी को सरकार बनाने के लिए 15 दिन का समय दे सकते हैं लेकिन वह अन्य दलों को 24 घंटे से अधिक नहीं दे सकते? इसमें तो कोई शक ही नहीं है कि यह अवैध, पक्षपातपूर्ण और अनुचित है। एक पार्टी कह सकती है कि हम साबित कर सकते हैं कि हमारे पास सदन में बहुमत है। अभी तक सदन का गठन नहीं हुआ है। उन्हें समर्थन पत्र सौंपने की आवश्यकता नहीं है। वे कह सकते हैं कि हम अपना बहुमत साबित करेंगे।

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