लखनऊ / गाजीपुर । क्या हमारे पूर्वज वैज्ञानिक थेेे ? क्या सोने के लिए खाट हमारे पूर्वजों की सर्वोत्तम खोज है? क्या हमारे पूर्वज लकड़ी को चीरना नहीं जानते थे? इन सभी सवालों के जवाब हैं, नहीं नहीं नहीं। हमारे पूर्वज भी लकड़ी चीरकर उसकी पट्टियाँ बनाकर डबल बेड बना सकते थे।
डबल बेड बनाना कोई रॉकेट साइंस नहीं है। लकड़ी की पट्टियों में कीलें ही ठोंकनी होती हैं। चारपाई भी भले कोई सायंस नहीं है लेकिन एक समझदारी तो है कि कैसे शरीर को अधिक आराम मिल सके। चारपाई बनाना एक कला है। उसे रस्सी से बुनना पड़ता है और उसमें दिमाग और श्रम लगता है।
हमें याद है जब हम गर्मियों की छुट्टियों में अपनी नानी के घर जाते थे तो वहां हम सब बच्चों के लिए चारपाई पर बिछौना बिछाया जाता था हमने कई बार नानी से पूछा कि नानी आपके यहां डबल बेड नहीं है? तो नानी बस मुस्करा के रह जाती थीं लेकिन बाद में जब हमने थोड़ा थोड़ा पढ़ना शुरू किया तो पता चला कि जब हम सोते हैं तब सिर और पांव के मुकाबले पेट को अधिक खून की जरूरत होती है क्योंकि रात हो या दोपहर में लोग अक्सर खाने के बाद ही सोते हैं। पेट को पाचनक्रिया के लिए अधिक खून की जरूरत होती है। इसलिए सोते समय चारपाई की जोली ही इस स्वास्थ का लाभ पहुंचा सकती है।
दुनिया में जितनी भी आरामदायक कुर्सियां देख लें, सभी में चारपाई की तरह जोली बनाई जाती है। बच्चों का पुराना पालना सिर्फ कपडे की जोली का था, लकडी का सपाट बनाकर उसे भी बिगाड़ दिया गया है। चारपाई पर सोने से कमर और पीठ का दर्द का दर्द कभी नही होता है। दर्द होने पर चारपाई पर सोने की सलाह दी जाती है।
डबलबेड के नीचे अंधेरा होता है, उसमें रोग के कीटाणु पनपते हैं , वजन में भारी होता है तो रोज-रोज सफाई नहीं हो सकती। चारपाई को रोज सुबह खड़ा कर दिया जाता है और सफाई भी हो जाती है, सूरज का प्रकाश बहुत बढ़िया कीटनाशक है। खटिये को धूप में रखने से खटमल इत्यादि भी नहीं लगते हैं।
अगर किसी को डॉक्टर Bed Rest लिख देता है तो दो तीन दिन में उसको English Bed पर लेटने से Bed -Soar शुरू हो जाता है । भारतीय चारपाई ऐसे मरीजों के बहुत काम की होती है । चारपाई पर Bed Soar नहीं होता क्योकि इसमें से हवा आर पार होती रहती है।
गर्मियों में इंग्लिश Bed गर्म हो जाता है इसलिए AC की अधिक जरुरत पड़ती है जबकि सनातन चारपाई पर नीचे से हवा लगने के कारण गर्मी बहुत कम लगती है ।बान की चारपाई पर सोने से सारी रात Automatically सारे शारीर का Acupressure होता रहता है ।
गर्मी में छत पर चारपाई डालकर सोने का आनद ही और है। ताज़ी हवा , बदलता मौसम , तारों की छाव ,चन्द्रमा की शीतलता जीवन में उमंग भर देती है । हर घर में एक स्वदेशी बाण की बुनी हुई (प्लास्टिक की नहीं) चारपाई होनी चाहिए।
सस्ते प्लास्टिक की रस्सी और पट्टी आ गयी है, लेकिन वह सही नही है। स्वदेशी चारपाई के बदले हजारों रुपये की दवा और डॉक्टर का खर्च बचाया जा सकता है।l अगर दाब या कांस की बुनी हुए तो सर्वोत्तम होती है।
शानदार स्टोरी
Thanks