यूपी भाजपा… रार और तकरार के बाद थोड़ा सा चैन ओ करार!

भारतीय जनता पार्टी सरकार और संगठन में  रस्साकशी बढ़ गई थीं जिसकी गूंज लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सुनाई देने लगी थी जनता के बीच खराब होती छवि को थामने के लिए भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष ने पिछले दिनों लखनऊ में तीन दिनों तक मीटिंग की थी । हमारी संवाददाता महिमा सिंह ने इस पूरे मामले पर बहुत बारीकी से नजर रखी थी, पढिये उनका विश्लेषण

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लखनऊ / दिल्ली । उत्तर प्रदेश में अगले साल विधान सभा चुनाव होने वाला हैं, जिसे लेकर प्रदेश की प्रत्येक पार्टी में हलचल तेज हो गई है। खबर है कि भारतीय जनता पार्टी सरकार और संगठन में  रस्साकशी बढ़ गई थीं जिसकी गूंज लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सुनाई देने लगी थी जनता के बीच खराब होती छवि को थामने के लिए भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष ने पिछले दिनों लखनऊ में तीन दिनों तक मीटिंग की थी । 

अब तक कयास लगाए जा रहे थे कि शीर्ष नेतृत्व संगठन  में बड़ा बदलाव करने वाला है। परन्तु तीन दिनों तक चली मीटिंग के बाद यह खबर आई है कि पार्टी में कोई खास बदलाव नहीं किए जाएंगे। पार्टी अगले विधान सभा चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव लड़ेगी।


इसके साथ ही माना जा रहा था कि एके शर्मा को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। कहा जा रहा था कि बीजेपी पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष को बदला जा सकता है। हालांकि अब इस अफवाह पर पूरी तरह पूर्ण विराम लग गया है। चुनाव से पहले बीजेपी पूरी तरह से अपनी कमर कस लेना चाहती है, किसी भी तरह से पार्टी कोई लापरवाही नहीं बरतना चाहती। विधानसभा चुनाव से पहले सरकार और संगठन लगातार समन्वय बैठक करेंगी। 


संगठन की तरफ से बीएल संतोष को उत्तर प्रदेश में समीक्षा के लिए भेजा गया था, जहां पर उन्होनें तीन दिनों तक पार्टी के कई नेताओं के साथ लगातार बैठक की। इसके साथ ही पार्टी के कई बड़े नेताओं से भी मुलाकात की। इस दौरान कयास लगाया जा रहा था कि उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या को स्वतंत्र देव सिंह की जगह पर प्रदेश अध्यक्ष की जगह पर बैठाया जा सकता है।


तीन दिनों तक चली बैठक में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय एके शर्मा रहे, जिनको पार्टी में एक उच्च स्थान दिया जा सकता है। उन्हें प्रदेश मंत्रीमंडल में कोई अहम भूमिका दी जाएगी। चर्चा है कि उन्हें ब्यूरोक्रेसी की जिम्मेदारी जा सकती है। 

जानकारों का मानना है कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ और एके शर्मा के बीच कुछ खास अच्छा रिश्ता नहीं है। एके शर्मा की पार्टी में आने से योगी आदित्यनाथ नाराज हैं। एके शर्मा के पार्टी में आने से लोगों के बीच पार्टी में दो पावर सेंटर होने के संकेत जाएंगे, जो पार्टी के लिए सही नहीं है। 

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