कश्मीर में सुरक्षा बलों पर हमला, आतंकवादियों के हमले में एक जवान शहीद

अहम बात यह है कि पिछले कुछ दिनों में आतंकी घटनाओं में अचानक बढ़ोतरी इसलिए हुई है जब यह सब हो रहा था जबही जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक हलचल बढ़ने लगी है जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए हुए पूरे 2 साल होने वाले हैं

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लखनऊ / दिल्ली । जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले में अचानक हुई बढ़ोतरी से दूसरी बार सुरक्षा बलों को निशाना बनाया गया है। जम्मू कश्मीर में पिछले कुछ समय में आतंकी घटनाओं मैं तेजी आई है। कुछ दिन पहले ही शोपिया में आतंकियों ने एक पुलिसकर्मी को निशाना बनाया था। 

जम्मू कश्मीर में एक बार फिर से हलचल तेजी से हुई है आतंकवादियों द्वारा सुरक्षाबलों को निशाना बनाया जा रहा है पिछले दिन ही शोपिया में एक पुलिस इंस्पेक्टर को गोली मारकर हत्या कर दी। और इस बार ही नहीं इससे पहले भी आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों के दस्ते पर हमला किया था। मंगलवार को दक्षिणी कश्मीर के शोपियां जिले में आतंकवादियों ने एक पुलिस इंस्पेक्टर को गोली मारकर हत्या कर दी गई। 

कनीपुरा इलाके में परवेज अहमद नमाज पढ़कर वापस आ रहे थे उसी वक्त पीछे से कुछ आतंकवादी आए और प्रवेश पर गोलियां बरसाने लगे थे। इंस्पेक्टर प्रवेश को 3 गोलियां लगी तभी प्रवेश को अस्पताल ले जाया गया अस्पताल जाने के बाद परवेज अहमद को मृत घोषित कर दिया गया। यह भी बता दें कि परवेज अहमद सीआईडी(CID) के साथ काम करते थे।

शोपिया जिले के बाबा पुरा इलाके में आतंकियों ने सीआरपीएफ (CRPF) की नाका पार्टी पर हमला किया, अच्छी बात तो यह रही कि उस हमले में किसी को कोई भी नुकसान और चोट नहीं पहुंची थी क्योंकि आतंकवादियों ने जब नाका पर हमला किया तो सुरक्षाबलों ने बराबर से जवाबी फायरिंग की सभी आतंकवादी वहां से तुरंत भाग निकले थे। 

पिछले शुक्रवार को भी आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों की एक पार्टी पर हमला किया था जैनापोरा में आतंकियों द्वारा सुरक्षाबलों पर फायरिंग की थी लेकिन किसी को भी किसी प्रकार का नुकसान या चोट नहीं पहुंची थी। 

अहम बात यह है कि पिछले कुछ दिनों में आतंकी घटनाओं में अचानक बढ़ोतरी इसलिए हुई है जब यह सब हो रहा था जबही जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक हलचल बढ़ने लगी है जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए हुए पूरे 2 साल होने वाले हैं इस बीच केंद्र सरकार ने राज्य के नेताओं से चर्चा के लिए 24 जून को बैठक बुलाई है जानकारी के मुताबिक बता दें कि आतंकवादी हुर्रियत के संगठन का लगातार किसी भी प्रकार की बातचीत का विरोध करते आए हैं।

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