Women’s Day : यार लड़कियों, तुम लड़कों जैसे मत होना

प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई तरह के कार्यक्रम किये जाते हैं। इस अवसर पर आमतौर पर महिलाओं को पुरुषों के बरअक्स खड़ा कर दिया जाता है जबकि महिलाएं न न तो उनकी प्रतिद्वंद्वी हैं और न ही पुरुष ही महिलाओं के प्रतिद्वंदी हैं बल्कि ये एक दूसरे के पूरक हैं। आखिर महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उन्हें पुरुषों की तरह क्यों नहीं होना चाहिए। इस लेख में इन्हीं प्रश्नों के उत्तर तलाश करने की कोशिश की गई है।

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यार लड़कियों, तुम न, लड़कों की बराबरी करने की कोशिश कभी मत करना। इसलिए नहीं, क्योंकि तुम लड़कों की बराबरी कर नहीं सकती, बल्कि इसलिए, क्योंकि तुम हम लड़कों से बहुत बेहतर हो। और ये सिर्फ़ मैं नहीं कह रहा। ऐसा साइंस कहता है। स्टेट्स कहते हैं। और तमाम हज़ार साल का इंसानी तजुर्बा कहता है।इसलिए मेरी तुमसे गुज़ारिश है कि यार प्लीज़। तुम हम लड़कों जैसा बनकर दुनिया को कम-क़ाबिल और अधिक-बोरिंग मत बना देना।

साइंस और स्टैट्स की बात करें? तुम्हें मालूम भी नहीं होगा कि तुम्हारा दिल लड़कों से अधिक तेज़ धड़कता है। हर मिनट पूरे 8 बीट्स अधिक। मिनट में 78 बार, शायद इसीलिए तुम हम लड़कों से अधिक प्यारी और दिल-क़श होती हो। पास से गुज़र जाती हो तो हमारा दिल धक् से हो जाता है “शायद इसीलिए हम तुमसे 8 बीट्स कम रह जाते हैं।”

जानती हो? दसवीं और बारहवीं में लडकियाँ हर इक साल लड़कों से बेहतर ग्रेड्स लाती हैं, और ये स्टैट्स सिर्फ़ हमारे देश का ही नहीं है, ग्लोबल है। ग़र अब जो कोई तुम्हारे IQ का मज़ाक उड़ाए या फिर ये कहे कि लडकियाँ ख़राब ड्राइवर होती हैं, तो ये फैक्ट उसके मुँह पर मारना। इन फैक्ट ड्राइविंग तो हम भूल जाते हैं, ग़र जो कभी सिग्नल पर तुम दिख जाती हो। “यू ड्राइव अस क्रेज़ी।”

साइंस कहता है कि लडकियाँ लड़कों से जल्दी और कमतर उम्र में चलना और बोलना सीख जाती हैं। जहाँ एक लड़की का दिमाग़ दस साल में मेच्योर हो जाता है, लड़कों का दिमाग़ 15 से 20 साल में मेच्योर हो पाता है।तुम एक मिनट में 250 शब्द बोल सकती हो और हम लड़के महज़ 150, तुम इतनी एक्सप्रेसिव कैसे हो यार? और बोलती भी कितना प्यारा हो। हम तो जैसे सब छिपा जाते हैं, रोते भी नहीं हैं, दिल में इतना भर लेते हैं कि दिल काठ का हो जाता है। निष्ठुर हो जाता है।

तुम एक नए इन्सान को भी गढ़ती हो, माँ बन कर कितने प्यार से हमें पालती-पोसती हो, ख़याल रखती हो। हम तो यार ख़ुद का भी ध्यान रख लें, तो बहुत है। पिछले महीने जो ज़ुराबें खोई थीं, वो आज तक नहीं मिलीं। इसीलिए यार, तुम हमारे जैसी होने की कोशिश बिलकुल भी मत करना। तुम ऐसी ही प्यारी, मज़बूत और क़ाबिल रहना। थोड़ी पगली सी, बहुत सारी केयरिंग सी, थोड़ी मूडी सी, बे-इन्तहा ख़ूबसूरत सी। और बिलकुल लड़कियों सी रहना। ऐसी ही, एकदम। ऐसी ही। ख़ालिस लड़कियों सी।

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