दो सालों में ख्वाजा यूनिवर्सिटी को पांचवा कुलपति, देखना दिलचस्प होगा क्या ये अपना कार्यकाल पूरा कर पाएंगे!

आपको बताते चलें कि उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में राजधानी लखनऊ में डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के साथ ही ख्वाजा मुईनुददीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी। लेकिन संसाधनों से पूरी तरह लैस होने के बावजूद ये विश्वविद्यालय अपने लक्ष्य और छात्रों के आकांक्षाओं की पूर्ति में पिछड़ता गया।

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लखनऊ (राज्य मुख्यालय) । उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने लखनऊ स्थित ख्वाजा मुईनुददीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के बहुप्रतीक्षित पूर्णकालिक कुलपति के नाम पर बुधवार को मुहर लगा दी। उन्होंने लखनऊ के इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर (डॉ) नरेंद्र बहादुर सिंह को तीन साल की अवधि के लिए भाषा विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया है।

आपको बता दें कि प्रोफेसर (डॉ) नरेंद्र बहादुर सिंह, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग कॉलिज इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं।

आपको बताते चलें कि उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में राजधानी लखनऊ में डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के साथ ही ख्वाजा मुईनुददीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी। लेकिन संसाधनों से पूरी तरह लैस होने के बावजूद ये विश्वविद्यालय अपने लक्ष्य और छात्रों के आकांक्षाओं की पूर्ति में पिछड़ता गया।

जानकारों का कहना है कि किसी भी शैक्षिक संस्थान को उत्कृष्ट पहचान दिलाने में उसके कार्यकारी मुखिया की महत्वपूर्ण भूमिका होती है लेकिन भाषा विश्वविद्यालय की विडम्बना देखिए कि ये विश्वविद्यालय अपने स्थापना से ही शिक्षकों की नियुक्तियों तक में अपने आपको विवादों से परे नहीं रख पाया।

सूत्रों ने हमारे संवाददाता को बताया कि पिछले दो सालों में इस विश्वविद्यालय ने चार कुलपतियों के पांच कार्यकाल देखे हैं लेकिन किसी भी कुलपति ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है। अब ये देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि नये कुलपति प्रोफेसर नरेंद्र बहादुर सिंह अपना कार्यकाल पूरा कर पाएंगे या नहीं!

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