एक थीं शूटर दादी

दादी "चंद्रो तोमर" अपनी देवरानी प्रकाशी तोमर के साथ मिलकर निशानेबाजी करती थी। निशानेबाजी के जगत में इन दोनों का बहुत ही बड़ा हाथ हैं। जब भी "बागपत" गांव की बात होती है तो, शूटर दादियों को जरूर याद किया जाता है।

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बहुत पुरानी बात नहीं है बल्कि कोरोना के दौर में हमने एक ऐसा अनमोल हीरा खोया है जो हम सभी के लिए अनुकरणीय था। जी हां, हम बात कर रहे हैं दादी “चंद्रो तोमर” की जिन्हें हम सब “शूटर दादी” के नाम से भी जानते हैं। कोरोना से पीड़ित “चंद्रो तोमर” दादी का इलाज मेरठ के एक निजी अस्पताल में हो रहा था। उनके चरणों में भावपूर्ण श्रद्धांजलि प्रकट करते हुए यह लेख लिखा जा रहा है। 

दादी “चंद्रो तोमर” अपनी देवरानी प्रकाशी तोमर के साथ मिलकर निशानेबाजी करती थी। निशानेबाजी के जगत में इन दोनों का बहुत ही बड़ा हाथ हैं। जब भी “बागपत” गांव की बात होती है तो, शूटर दादियों को जरूर याद किया जाता है। “बागपत” गांव ने बहुत से निशानेबाज इस देश को दिए हैं। दादी “चंद्रो तोमर” ने अंतरराष्ट्रीय स्तर तक के अवॉर्ड अपने नाम किए हैं।

जिस उम्र में लोगो के हाथ कांपते हैं, उस उम्र में इन्होंने हाथ थामने वाले काम किए हैं। ये दोनों महिलाएं आज पूरे विश्व में अपनी निशानेबाजी के लिए मशहूर हैं। दादी चंद्रो तोमर और उनकी देवरानी प्रकाशी तोमर दोनों की ही जोड़ी काफी जंचती थी साथ में…..जो कि अब अधूरी हो चुकी है। प्रकाशी तोमर ने ट्वीट भी किया था कि हमारा साथ छूट गया।

इन मशहूर निशानेबाजों का जीवन इतना सराहनीय है कि इनके जीवन पर एक फिल्म भी बनी है जिसका नाम है “सांड की आंख”। गांव में इन्हें बहुत से लोगों ने ताने मारे, इन्हें रोकने की भी कोशिश की पर यह रुकी नहीं। इनका जज्बा इतना अटूट था कि ये दोनों आगे बढ़ती ही गई, बढ़ती गई और बढ़ती ही चली गई।

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