छापा! दैनिक भास्कर के हर एक ठिकाने पर छापा

बता दें कि भास्कर ग्रुप के दफ्तरों के अलावा ग्रुप के मालिकों के घर पर भी यह छापेमारी की जा रही है। साथ ही ग्रुप में काम करने वाले कई कर्मचारियों के घर पर भी रेड की गई है. छापे के दौरान दफ्तरों में मौजूद कर्मचारियों के मोबाइल जब्त कर लिए गए हैं और उन्हें बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है।

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लखनऊ /दिल्ली / जयपुर। देश के प्रतिष्ठित अखबारों में से एक दैनिक भास्कर ग्रुप के कई ठिकानों पर गुरुवार, 22 जुलाई को आयकर विभाग ने छापा मारा. टैक्स चोरी के आरोप में कई शहरों में ये कार्रवाई की गई है. ग्रुप के भोपाल, जयपुर, अहमदाबाद और कई अन्य शहरों में बने दफ्तरों और ठिकानों पर इनकम टैक्स विभाग के अफसर जांच पड़ताल में जुटे हैं. आधिकारिक सूत्रों ने जानकारी दी कि ग्रुप के प्रमोटर्स के घरों और ऑफिसों पर भी तलाशी अभियान चलाया जा रहा है. इस कार्रवाई को लेकर विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है. सरकार ने भी इस पर जवाब दिया है।

मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम ने कहा, ‘मोदी सरकार में प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ को दबाने का , सच को रोकने का काम शुरू से ही किया जा रहा है, अभी पेगासस जासूसी मामले में भी कई मीडिया संस्थान व उससे जुड़े लोग बड़ी संख्या में निशाने पर रहे हैं और अब सरकार की निरंतर पोल खोल रहे। सच को देश भर में निर्भिकता से उजागर कर रहे दैनिक भास्कर मीडिया समूह को दबाने का काम शुरू हो गया है? अपने विरोधियों को दबाने के लिए , सच को सामने आने से रोकने के लिये ईडी, आईटी व अन्य एजेंसियो का दुरुपयोग यह सरकार शुरू से ही करती रही है और यह काम आज भी जारी है? लेकिन ध्यान रखे कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नही?

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उत्तर प्रदेश में गंगा में बहती लाशों ने सभी का ध्यान खींचा था. जिसके बाद भास्कर ने अपने 30 रिपोर्टर्स की टीम के साथ यूपी में गंगा किनारे जिलों में लगभग 1140 किमी में लाशों को लेकर रिपोर्टिंग की थी. खबर में बताया गया था कि इस दौरान दो हजार से ज्यादा शव गंगा किनारे मिले. जिसमें कानपुर, उन्नाव, गाजीपुर और बलिया में हालात सबसे ज्यादा खराब थे। इस खबर का फोटो वायरल होने के बाद भास्कर की रिपोर्टिंग की पूरे देश मे तारीफ होने लगी थी।

केंद्र सरकार ने संसद के मानसून सत्र के दौरान एक जवाब में कहा कि, पूरे देश में ऑक्सीजन की कमी से एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है. इस बयान के बाद अखबार ने देश के अलग-अलग प्रदेशों का उदाहरण देकर बताया कि कैसे सरकार ने संसद में झूठ बोला। इस खबर में तीन मामलों का जिक्र किया गया है जहां ऑक्सीजन की कमी से लोगों की मौत हुई थी, इस खबर की पूरे देश के साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई भी हुई थी. खबर के अंत में अखबार ने तंज कसते हुए लिखा, … और कहते हैं ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई. कुछ तो सोचकर बोलिए सरकार!

दैनिक भास्कर ने राजस्थान में टीके की बर्बादी को लेकर एक खबर की थी. इस खबर में बताया गया था कि प्रदेश के 8 जिलों के 35 वैक्सीनेशन सेंटरों के कचरे में वैक्सीन की 500 वायल मिली हैं, जिनमें 2500 से भी ज्यादा डोज हैं. इस खबर को राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री ने झूठ और भ्रामक बताया था। इस पर भास्कर ने कहा, “वह अपनी खबर के साथ खड़ी है, सरकार चाहें तो जांच करा ले.” जिसके बाद सरकार ने फैसला लिया कि, वैक्सीनेशन का भी ऑडिट होगा।

सबसे महत्वपूर्ण बात, जो इस खबर के अंत में लिखी गई है, यह पत्रकारिता के लिए डरावना है. भास्कर ने बताया कि, जब वह छापेमारी के दौरान यह रिपोर्ट लिख रहे थे तब अधिकारियों ने कहा था, कि उन्हें बिना दिखाए खबर प्रकाशित नहीं की जाए।

बता दें कि भास्कर ग्रुप के दफ्तरों के अलावा ग्रुप के मालिकों के घर पर भी यह छापेमारी की जा रही है। साथ ही ग्रुप में काम करने वाले कई कर्मचारियों के घर पर भी रेड की गई है. छापे के दौरान दफ्तरों में मौजूद कर्मचारियों के मोबाइल जब्त कर लिए गए हैं और उन्हें बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है।

नाइट शिफ्ट के लोगों को भी दफ्तर से बाहर जाने से रोक दिया गया. रेड में शामिल अधिकारियों ने कहा था, यह उनके प्रोसेस का हिस्सा है और पंचनामा होने के बाद उन्हें फ्री किया जाएगा. इसके बाद डिजिटल की नाइट शिफ्ट की टीम को दोपहर साढ़े बारह बजे फ्री किया गया।

भास्कर ने अपनी खबर में लिखा है कि जांच एजेंसी ने छापेमारी का कोई कारण साफ नहीं किया है. वहीं एबीपी न्यूज के मुताबिक, भास्कर ग्रुप पर यह छापेमारी टैक्स चोरी को लेकर की जा रही है। हालांकि जयपुर भास्कर के कर्मचारी ने न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहा कि, पहली बार भास्कर पर छापा पड़ा है. हमारी कोविड रिपोर्टिंग के कारण ही यह छापेमारी की गई है।

वहीं अहमदाबाद भास्कर के एक अन्य कर्मचारी ने कहा, हम अपना काम करना जारी रखेंगे जैसा कि हम करते रहे हैं और कर रहे हैं. हमारा किसी सरकार के खिलाफ एजेंडा नहीं है, हम तथ्यों के आधार पर रिपोर्ट करते हैं. हम जो देखते और सुनते हैं हम वही रिपोर्ट करते हैं. अगर सरकार अच्छा काम करती है तो हम उनके अच्छे काम पर रिपोर्ट करेंगे, और अगर वे बुरा काम करेंगे तो उनके बुरे काम के बारे में रिपोर्ट करेंगे।

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