शिक्षा और शोध, विद्या और बोध के मंथन से निकलने वाला अमृत देश को नई दिशा देगा

पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य आधार शिक्षा को संकुचित सोच के दायरे से बाहर निकालना और उसे 21वीं सदी के विचारों से जोड़ना है. हमारे देश में मेधा की कभी कमी नहीं रही. लेकिन दुर्भाग्य से हमें ऐसी व्यवस्था बनाकर दी गई थी, जिसमें पढ़ाई का मतलब नौकरी ही माना गया.काशी को भी मोक्ष की नगरी इसलिए कहते हैं,

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लखनऊ / वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करोड़ों की सौगात देने गुरुवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी आए हैं. काशी पहुंचे पीएम मोदी ने सबसे पहले एलटी कॉलेज में पूर्वांचल के सबसे बड़े अक्षय पात्र मिड डे मील किचन का उद्घाटन किया. पीएम मोदी तीन दिवसीय ‘अखिल भारतीय शिक्षा समागम’ का उद्घाटन किया. इतना ही नहीं, पीएम मोदी ने सिगरा स्टेडियम में 1774 करोड़ की 43 परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया।

इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश और काशी के लोगों का उत्तर प्रदेश चुनाव में दिए गए अपार समर्थन पर धन्यवाद जताया. हमारी सरकार ने हमेशा गरीब की समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया है, उसके सुख-दुख में साथ देने का प्रयास किया है. कोरोना की मुफ्त वैक्सीन से लेकर गरीबों को मुफ्त राशन की व्यवस्था तक, सरकार ने आपकी सेवा का कोई अवसर छोड़ा नहीं है. हर गरीब परिवार को पक्का घर देना और हर ग्रामीण परिवार को पाइप के पानी से जोड़ने के संकल्पों पर हम तेजी से काम कर रहे हैं. जल जीवन मिशन के तहत दर्जनों पानी की परियोजनाओं पर काम शुरू हो चुका है. इससे हजारों परिवारों को, विशेष रुप से बहनों को बहुत सुविधा होगी।

उन्होंने कहा आज पीएम आवास योजना के तहत वाराणसी के 600 से अधिक गरीब परिवारों को अपना पक्का घर मिला है. जिन साथियों के घर का सपना आज पूरा हुआ है, उनको बहुत बहुत बधाई. ये समागम आज ऐसे समय हो रहा है, जब देश अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. अमृत काल में देश के अमृत संकल्पों को पूरा करने की बड़ी जिम्मेदारी हमारी शिक्षा व्यवस्था और युवा पीढ़ी पर है. अखिल भारतीय शिक्षा समागम का ये आयोजन उस पवित्र धरती पर हो रहा है. जहां आजादी से पहले देश की इतनी महत्वपूर्ण यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई थी।

पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य आधार शिक्षा को संकुचित सोच के दायरे से बाहर निकालना और उसे 21वीं सदी के विचारों से जोड़ना है. हमारे देश में मेधा की कभी कमी नहीं रही. लेकिन दुर्भाग्य से हमें ऐसी व्यवस्था बनाकर दी गई थी, जिसमें पढ़ाई का मतलब नौकरी ही माना गया.काशी को भी मोक्ष की नगरी इसलिए कहते हैं, क्योंकि हमारे यहां मुक्ति का एकमात्र मार्ग ज्ञान को ही माना गया है. इसलिए शिक्षा और शोध का, विद्या और बोध का मंथन, जब सर्व विद्या के प्रमुख केंद्र काशी में होगा, तो इससे निकलने वाला अमृत अवश्य देश को नई दिशा देगा.

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