तुम विनर हो रोती क्यों हो, मत रो! तुम्हारे आंसूओं से तड़प जाता है देश!

अपना पहला ओलंपिक खेल रही यही बेटियां, आज कई बार की ओलंपिक पदक (रजत व कांस्य) विजेता, वर्ल्ड रैंकिंग में नंबर दो अर्जेंटीना की टीम के सामने बिल्कुल आंखों में आंखें डालकर पाई-पाई का हिसाब चुकता कर रही थीं। इन्हीं बेटियों को आज गर्व और आस से सारा हिंदुस्तान तक रहा था।

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लखनऊ / दिल्ली । पहली बार टीवी पे कोई हॉकी मैच लास्ट सेकेंड तक देखा। शुरूआत में समझ तो कुछ भी ख़ास नहीं आ रहा था, बस देश के लिए काश, एक पदक मिल जाए, इसी लालच में जा बैठे थे टीवी के सामने। मैदान पर हाथों में हॉकी स्टिक थामे, सफेद यूनीफॉम वाली वो उड़नपरी सरीखी उड़ती-जूझती, लड़ती-भागती लड़कियां।

अरबों उम्मीदों को कांधे पर सजाए तिरंगा लहरा सकने की ख़ातिर हर इक पल जान झोंक रही थीं और इधर उन्हें निहारते हुए ना जानें क्यों आंखें बार-बार डबडबाई आ रही थीं। ये इसलिए नहीं था कि आज इन बेटियों ने देश को एक और ओलंपिक पदक दिला सकने से बस एक क़दम दूरी पर लाकर खड़ा कर दिया था।

मैच देखते हुए याद आ रहे थे कई निहायत बेढगे से वो तंज़,जो पहली बार हॉकी स्टिक थामते हुए तुमने सहे होंगे। याद आती रहीं वो अनजानी/पहचानी तमाम निगाहें,जो इस बुलंदी तक पंहुचने के सफ़र में अनगिनत बार तुम्हारे अंतर्मन को लहूलुहान करती रही होंगी। याद तो उन तमाम समझौतों के आमंत्रण की भी आई, जिन्हें हर बार ठोकर मार कर तुमने चुनी होगी अपनी खुद्दारी और मान-स्वाभिमान और फिर चुकाई होगी बड़ी क़ीमतें और आंसुओं में धो दिए होंगे कई सपने।

छोटे से शहर की मिडिल क्लास लड़की हूं ना, तो मेरे लिए तुम्हारे मां-पापा व परिवार के वो दिन भी महसूस करना मुश्किल नहीं, जब उन्होंने तन पेट काटकर तुम्हें तो खेल के मैदान में उतारा होगा,और खु़द के लिए चुन लिया होगा लोगों के गैर ज़रूरी सवालों, हास-परिहास व कटाक्ष के चक्रव्यूह में घिरना। बेशक कड़वी है, पर है सच्चाई कि हमारे यहां आज भी आसान नहीं है किसी बेटी का भारत की बेटी बनना!

अपना पहला ओलंपिक खेल रही यही बेटियां, आज कई बार की ओलंपिक पदक (रजत व कांस्य) विजेता, वर्ल्ड रैंकिंग में नंबर दो अर्जेंटीना की टीम के सामने बिल्कुल आंखों में आंखें डालकर पाई-पाई का हिसाब चुकता कर रही थीं। इन्हीं बेटियों को आज गर्व और आस से सारा हिंदुस्तान तक रहा था।

ये आज हारीं भी तो यूं, कि आख़िरी सेकेंड तक जूझते हुए इनका जज़्बा देखते रहने की ख्वाहिश बनी ही रही। आज मैच के बाद आंसू इनके निकले, तो तड़प सारा देश उठा, ऐसे में जीत-हार मायने नहीं रखती हीरोज़, तुम्हारा लड़ना ही कमाल था।

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