लखनऊ / अमरोहा। उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले की बावन खेड़ी हत्याकांड की दोषी शबनम एक बार फिर चर्चा में है उसे फांसी कब होगी यह सवाल अभी भी बना हुआ है शबनम और उसके प्रेमी सलीम पर आरोप था यह दोनों ने मिलकर 7 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।
मीडिया में शबनम की फांसी का मुद्दा उछलता रहता है लेकिन अब इस केस को लेकर बड़ा मोड़ सामने आया है की दरअसल शबनम को फांसी के फंदे तक पहुंचाने की मांग करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता दानिश खान का मन बदल गया है।
जनपद रामपुर निवासी दानिश खान सोशल एक्टिविस्ट के साथ ही आरटीआई कार्यकर्ता भी हैं यह अक्सर सूचना के अधिकार के तहत स्थानीय अधिकारियों के कार्यालयों से जुड़ी सूचनाओं के साथ ही पीएमओ राष्ट्रपति कार्यालय और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के आदेशों को लेकर भी सूचनाएं मांगते रहते हैं।
पिछले दिनों दानिश खान ने दोषी शबनम को शीघ्र फांसी दिए जाने की मांग की थी उसको फांसी दिए जाने को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई थी पर मीडिया का फोकस पूरी तरह से रामपुर की जेल पर रहता था कानूनी दांवपेच के चलते उसकी फांसी की तारीख टल गई थी। clicca qui
शबनम जब रामपुर की जेल में बंद थी तो शबनम का बेटा जेल में उससे मिलने आता था अपनी मां शबनम की फांसी रुकवाने के लिए राष्ट्रपति से मीडिया के माध्यम से दया की गुहार लगाई उसके बाद सोशल एक्टिविस्ट दानिश खान का मन बदल गया और वे रिट के जरिए शबनम की फांसी की सजा को बदलने की मांग लेकर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग पहुंचे।
दानिश खान ने 21 फरवरी को आयोग में रिट फाइल किया जिसके बाद 20 मई को उनकी रिट दर्ज कर ली गई पर महज़ 24 घंटे में ही उनकी रिट को आयोग ने यह कह कर खारिज कर दिया की यह मामला न्यायालय से जुड़ा हुआ है।
सोशल एक्टिविस्ट दानिश खान ने कहा कि वे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को भी एक पत्र लिखेंगे और यूनाइटेड नेशन को भी एक पत्र फांसी की माफी के लिए भेजा जाएगा।
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