उस थप्पड़ का कमाल कि प्रेमनाथ ने एम्पायर टॉकीज खरीद लिया

प्रेमनाथ ने टिकिट चेकर को गले लगाया और उससे बोले यदि तुमने मुझे झापड़ मार कर भगाया न होता तो आज मैं इस एम्पायर टाकीज का मालिक न बन पाता। 

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अपने दमदार अभिनय के लिए प्रसिद्ध रहे अभिनेता प्रेमनाथ हमारे जबलपुर के ही गौरव पुत्र थे। उनने अंग्रेजों द्वारा बनाई गई एम्पायर टाकीज को भी खरीद लिया था। इस टाकीज को खरीदने का किस्सा भी लाजवाब है।

प्रेमनाथ जब स्कूल में पढते थे तब एक बार वो एम्पायर टाकीज की दीवाल फांदकर बिना टिकट लिए पिक्चर देखने बैठ गए। जब टिकिट चेकर टिकिट चेक करने आया तो किशोर प्रेमनाथ से टिकिट मांगी तो उनने टिकिट न होने की बात कही और बताया कि वो बाउंड्री वाल फांदकर अंदर आ गए। टिकिट चेकर ने प्रेमनाथ को एक झापड़ मारा और पकडकर बाहर लाया और बोला जैसे तुम दीवार फांदकर आये थे वैसे ही फांदकर बाहर भागो। जाने के पहले किशोर प्रेमनाथ ने टिकिट चेकर से कहा कि देखना एक दिन मैं इस टाकीज को खरीद लूंगा।

प्रेमनाथ जब बडे़ हुए और पिता की मर्जी के खिलाफ अभिनय करने मुंबई चले गए। 1952 में उन्होंने एम्पायर टाकीज खरीद ली। मालिक बनने के बाद जब प्रेमनाथ ने टाकीज का उद्घाटन किया तो जिद्दी प्रेमनाथ का रूप सामने दिखा। प्रेमनाथ उसीतरह से बाउंड्री वाल फांदकर टाकीज के भीतर गये जैसे वो किशोर अवस्था में दीवार फांदकर टाकीज के भीतर गये थे। यह संयोग रहा कि प्रेमनाथ को झापड़ मारने वाला टिकिट चेकर तब भी काम कर रहा था। प्रेमनाथ ने उस टिकिट चेकर को बुलाया। घबराते हुए टिकिट चेकर प्रेमनाथ के सामने आया। लेकिन उस नजारे को देखकर सब लोग दंग रह गए जब प्रेमनाथ उसी कुर्सी पर बैठे जिससे उन्हें टिकिट चेकर ने उठाकर भगाया था।

कुर्सी से उठकर प्रेमनाथ ने झापड़ मारने वाले टिकिट चेकर को बिठाया और फूलमाला पहनाकर उसका स्वागत किया उसे मिठाई भी खिलाई। फिर प्रेमनाथ ने टिकिट चेकर को गले लगाया और उससे बोले यदि तुमने मुझे झापड़ मार कर भगाया न होता तो आज मैं इस एम्पायर टाकीज का मालिक न बन पाता। 

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