
देश में आगजनी हुई, हत्याएं हुईं, मारपीट हुआ लेकिन ना कोई विरोध हुआ और ना ही कोई सोशल मीडिया एक्टिविटी, क्योंकि यह सब ममता दीदी के पश्चिम बंगाल में हुआ। जहां कुछ तथाकथित लोगों का एजेंडा फिट नहीं बैठता है।
अगर यहीं घटना उत्तर-प्रदेश में घटित होती तो पूरा देश दहल जाता, जगह-जगह इंटरव्यू हो रहे होते, मुख्यमंत्री को कुर्सी छोड़वाने के लिए हर संभव कोशिश होती। कोई कहता कि बाबा के बस का नहीं है, तो कोई कहता कि हिन्दू आंतकवाद है, तो कोई गाय , गोबर और मूत्र पर रिसर्च करके बताता कि किस प्रकार से इन चीजों का भी इस घटना से संबध है।

देश में कुतर्कों की बाढ़ मच जाती और फिर सब मिलकर कहते कि दंगे में भगवा पहने एक युवक ने जय श्री राम का नारा लगाया था और फिर अन्ततः तय हो जाता कि जय श्री राम एक उन्मादी स्लोगन है, इसे पश्चिम बंगाल की तरह पूरे देश में बैन किया जाना चाहिए। जिस तरह से हमारे भावनाओं से खिलवाड़ होता है, मजाक बनाया जाता है, वहीं हमें और दृढ़ और मजबूत बनाता है और फिर बाद में लोग हमें कट्टरवादी कहते हैं। राम नाम अगर उन्मादी है तो यह फिर मात्र एक श्रंखला की शुरुआत है वक्त के साथ और भी नामों में उन्माद दिखाया जाएगा और फिर आप बेबश और लाचार हो जाएंगे, आपके आंखों के सामने ही सब कुछ होगा और आप कहेंगे – “ हमने तो कुछ देखा ही नहीं ” राजनीति में आपसी विरोध करिए , रैली रुकवा दिजिए, अगर आपको अच्छा लगे तो हत्याएं करवा दिजिए, बम फोड़वाइए लेकिन आप राम नाम को उन्मादी मत कहिए। सत्य कभी उन्मादी नहीं हो सकता है और राम नाम ही सत्य है, यथार्थ है।