*वाह रे मध्यांचल विद्युत वितरण निगम*
*स्टाफ आफिसर साहेब के भ्रष्टाचार के पीछे किसका हाथ*
लखनऊ 17; अगस्त, आज स्टाफ अफिसर के पीछे किसका हाथ है यही मध्यांचल विद्युत वितरण निगम मे चर्चा का विषय बना हुआ है *मध्यांचल विद्युत वितरण निगम का मुख्यालय तो हजरतगंज के गोखले मार्ग पर है और इस काण्ड की चर्चा पूरे प्रदेश मे तो आइए हम पाठको बताते है कि दरसल हुआ क्या था वैसे मध्यांचल विद्युत निगम के अवैध रूप से नियुक्त प्रबन्ध निदेशक के स्टाफ अफसर का जो एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है जिसमे इनको भ्रष्टाचारी कहा जा रहा है । आखिर इस पत्र मे ऐसा क्या है जो गलत है तो हम अपने पाठको को बताते है किनिविदा प्रक्रिया क्रा होती है और यह कैसे खोली जाती है। निविदाऐ हमेशा दो भागो मे खोली जाती है पहले भाग को टेक्निकल भाग कहा जाता है जिसमे उक्त निविदा मे भाग लेने के लिए निर्धारित शर्तो / नियमो का पालन करना होता है और दूसरे भाग मे उक्त कार्य को करने के लिए या निविदा मे वर्णित कार्य के लिए कितना कम से कम लागत मे उक्त कार्य करने की धनराशी का वर्णन होता है । पहले भाग मे ई टेण्डर मे जो कागज मागे जाते है उनको ठेकेदारो द्वारा अपने स्तर स्कैन कर के कम्प्यूटर के जरिए निविदा को भर कर सरकारी साईट पर अपलोड कर दिया जाता है ऐसे मे कोई हार्ड कापी या कोई कागज आफिस मे नही दी जाती और पारदर्शिता के लिए प्रतिभागी एक दूसरे के कागज देखने की सुविधा भी होती है लेकिन निविदा खुलने के पश्चात । जिनके प्रपत्र यानी कागज मानको के अनुरूप हुऐ या पूरे होते है तो उनकी निवदा का दूसरा भाग खोला जाता है और जिनका नही उनको बाहर कर दिया जाता है निविदा मे कम से कम तीन प्रतिस्पर्धी होना आवश्यक होता है कभी कभी कार्य की आवश्यकतानुसार दो स्पर्धी भी हो सकते है तो ऐसे समय मे मुख्य अभियन्ता से अनुमति ले कर निविदा खोली जा सकती है* खैर यह तो हुए नियम और स्टाफ आफिसर साहिब ने तो पहला भाग खोला और उसमे अपने चहेते के कागज पूरे ना होने पर एक पत्र लिख कर नियम विरुद्ध उससे कागज मांग लिए सोचा किसी को कहाँ पता चलेगा कि ईमानदारी के कम्बल की ओड चादी के जूते खा लिए जा कौन देखता है अगर कोई शिकायत भी करेगा तो आयेगी प्रबन्ध निदेशक के पास वहाँ तो दरवाजे पर ही मै खुद बैठा हूँ सब संभल जाएगा अगर कोई शिकायत पहुच भी गयी तो सम्भाल ली जाएगी कहते है अति किसी भी चीज की गलत होती है और यहाँ भ्रष्टाचार की परिकाष्ठा हो चुकी है *एक टेण्डर बाबू जो कि जो पहले उन्नाओ मे तैनात था और वहाँ अपने भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात था उसका स्थानांतरण लखनऊ लेसा के सेस गोमती के सेस4 मे टेण्डर बाबू के रूप मे तैनाती कर दी गयी और फिर शुरू होता है लूट का खेल उस बाबू को लखनऊ सेस के मुख्य अभियन्ता के टेण्डर बाबू का अतरिक्त कार्य भी दे दिया जाता है इससे इन भ्रष्टाचारियो का मन नही भरता है तो उसे अधीक्षण अभियन्ता मण्डल 7 के आफिस का भी चार्ज दे दिया जाता है और मध्यांचल मे अवैध रूप से नियुक्त बडका बाबू चुपचाप तमाशा देखते है और लूट की पूरी छूट भी प्रदान करते है वैसे सर्किल 7 एक चर्चित सर्किल है यहाँ पर एक मशहूर भ्रष्टाचारी पहले से तैनात है जिसके घोटालो की तो कोई मिसाल नही ।*
पाठको को बता दे कि *मध्यांचल के बडकऊ के सामने ही भ्रष्टाचारी चादी के जूते से कौन ज्यादा पीटा जाएगा या यह भी कह सकते है कि जैसे दो विल्लियो के बीच रोटी के टुकडे को ले कर जैसी लडाई होती है वो ट्रान्सफर पोस्टिग के लिए हुई थी परन्तु महोदय ने कोई भी कार्यवाही नही की यहाँ तक कि यह किस्सा अखबारो मे भी छाया रहा लेकिन बडकऊ ने कोई एक्शन नही लिया इस लिए भ्रष्टाचार के रोज नये कीर्तिमान स्थापित हो रहे है और तो बडकऊ की समझदारी तो देखे जनता को परेशान करने व अपने चहेतो की जेब भरने का एक और* *रास्ता इन्होने खोल दिया इन्होने न्यायालय से जारी किराएदारी शपतपत्र या नोटरी को भी चेक करने के लिए एक टीम बना दी है यानि कि न्यायालय के बने कागजो को भी नही छोडा नोटरी कमिश्नर के रजिस्टर को अब बिजली विभाग के बाबू चेक करेगे और जनता को त्रस्त करेगे चाधदी के जूते से मुँह सुजा कर रिपोर्ट देगे* । *लेकिन बडकऊ अपने आफिस के बगल मे हो रहे भ्रष्टाचार की जाच नही करेगे*। *क्या इनका यह कृत्य इनको शक के घेरे मे नही खडा करता कि इनका हाथ भ्रष्टाचारियो के साथ है* अगर ऐसा ना होता तो स्टाफ अफिसर के खिलाफ अभी तक कोई अनुशासनिक कदम क्यो नही उठाया । इसे तो यही लगता है कि मध्यांचल विद्युत निगम मे चल रहे भ्रष्टाचार के पीछे यहाँ तैनात अनुभवहीन बडकऊ की मौन सहमति है ।