उर्दू सहाफ़त के 200 साल : AMU Old Boys ने माजिद दरियाबादी को किया याद

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ओल्ड ब्वायज एसोसिएशन के सचिव सैय्यद मुहम्मद शोएब ने न्यूज डॉन की संवाददाता आरिशा से बात करते हुए कहा  कि एसोसिएशन, साहित्य, शिक्षा, पत्रकारिता एवं नामचीन कवियों शायरों के योगदान को समाज तक पहुंचाने के लिए वक्त वक्त पर  सेमिनार का आयोजन करता रहता है।

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लखनऊ (राज्य मुख्यालय) ।  उर्दू पत्रकारिता के 200 साल पूरे होने के अवसर पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ओल्ड बॉयज एसोसिएशन और सिद्क़ फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को उर्दू पत्रकारिता और मौलाना अब्दुल माजिद दरियाबादी विषय पर लखनऊ के इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया  में सेमिनार का आयोजन किया गया।

मुख्य अतिथि मसूद उल हसन उस्मानी ने अपने संबोधन में मौलाना माजिद दरियाबादी के जीवन के  महत्वपूर्ण पहलुओं से अवगत कराया और उस दौर के पत्रकारिता की विशेषताएं  बताईं उन्होंने बताया कि  नज़र और ख़बर के बीच के अन्तर को समझने के लिए आज के पत्रकारों को मौलाना के पत्रकारीय कौशल  से प्रेरणा लेने की जरूरत है।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर शाफे किदवाई ने बताया कि  उर्दू पत्रकारिता ने अपने सफर के 200 साल पूरे कर लिये है। मार्च 1822 में प्रथम उर्दू पत्रिका प्रकाशित की गई उसका संपादन सदा सुखलाल और हरिहर दत्त ने किया। उन्होंने बताया कि उन दोनों ने मिलकर कोलकाता से उर्दू अखबार “जाम ए जहनुमां” का प्रकाशन किया ।

प्रोफेसर शाफे ने कहा कि पत्रकारिता को बढाने, उसे सजाने संवारने और आम जनमानस तक पहुंचाने में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का योगदान अतुलनीय है वहां से कई नामचीन पत्रकार निकले उन्हीं में एक प्रमुख नाम मौलाना अब्दुल माजिद  दरियाबादी का है। आपको बता दें कि मौलाना माजिद दरियाबादी ने Mohammadon Anglo Oriental College (AMU का पुराना नाम) से शिक्षा ग्रहण की। बीते 16 मार्च 2022 को मौलाना दरियाबादी की 120 वीं जयंती थी।

कार्यक्रम में बोलते हुए लेखक एवं स्तंभकार रवि भट्ट  ने कहा कि उर्दू बेहद मीठी और खूबसूरत भाषा है उन्होंने भाषाओं को बांटने की कोशिशों को खारिज करते हुए कहा कि भाषाओं की कोई सीमा नहीं होती, भाषाएँ धर्म जाति, क्षेत्र के बंधनों से मुक्त होती हैं। एरा मेडिकल कॉलेज के  जैव रसायन विभाग के हेड प्रोफेसर अब्बास अली मेंहदी ने सेमिनार के आयोजकों को सराहा और   कहा कि ऐसे महापुरुषों के योगदान से आमजन को जागरूक करने के लिए नियमित रूप से ऐसे सेमिनार आयोजित किए जाने चाहिए।

कार्यक्रम में इस्लामिक सेंटर आफ इंडिया के मौलाना नईम उर रहमान सिद्दीकी ने अखबार के पुराने दस्तावेज को पढ़ा और लोगों के अवलोकन के लिए समाचार पत्रों के पुराने मूल रिकॉर्ड को प्रदर्शित किया। सेमिनार की अध्यक्षता ऐशबाग ईदगाह के इमाम  मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने की उन्होंने उर्दू पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए इस तरह के कार्यक्रमों की एक श्रंखला की आवश्यकता पर जोर दिया।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ओल्ड ब्वायज एसोसिएशन के सचिव सैय्यद मुहम्मद शोएब ने न्यूज डॉन की संवाददाता आरिशा से बात करते हुए कहा  कि एसोसिएशन, साहित्य, शिक्षा, पत्रकारिता एवं नामचीन कवियों शायरों के योगदान को समाज तक पहुंचाने के लिए वक्त वक्त पर  सेमिनार का आयोजन करता रहता है। उन्होंने बताया कि  मौलाना हसरत मोहानी, असरारुल हक मजाज़, जोश मलिहाबादी , रशीद अहमद सिद्दीकी , अली सरदार जाफरी पर सेमिनार किये गये हैं।

इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत तिलावत ए कुरान के साथ  हुई  कारी कमरुद्दीन ने पैग़म्बर मुहम्मद साहब को नात पढ़ कर याद किया । सैयद मुहम्मद शोएब ने अतिथियों का स्वागत किया जबकि ज्वाइंट सेक्रेटरी आतिफ हनीफ  ने कार्यक्रम का संचालन किया। सिद्क़ फाउंडेशन की डॉ आयशा कुद्दूसी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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