नहीं मिलता बिहार के माफ़िया डॉन को तिहाड़ जेल, तो बिगड़ जाता नितीश सरकार का खेल

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                                                    शिव कृपाल मिश्र –

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के कुख्‍यात माफ़िया डॉन मोहम्‍मद शहाबुद्दीन को सीवान जेल से दिल्‍ली की तिहाड़ जेल शिफ्ट करने का आदेश दे दिया। सुप्रीम कोर्ट ने चंदा बाबू और पत्रकार राजीव रंजन की पत्नी आशा रंजन की अपील पर बिहार से बाहर की जेल में शहाबुद्दीन को ट्रांसफर करने का फैसला सुनाया |1996 से 2009 तक सीवान से चार बार लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद की टिकट पर चुनाव जीत सांसद बने माफिया डॉन शहाबुद्दीन बिहार पुलिस की सूची का ए क्लास हिस्ट्रीशीटर है। नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री की पहली पाली में बिहार के हिस्ट्रीशीटरों को सजा दिलाने के लिए कई विशेष अदालतों का गठन किया था। 13 मई 2016 को सीवान के पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या हुई थी। इसके बाद 19 मई शहाबुद्दीन शाहबुद्दीन को भागलपुर जेल शिफ्ट करने का आदेश जेल आईजी आनंद किशोर ने दिया। और उसी रोज रात के अंधेरे में उन्हें यहां की कैंप जेल यानी विशेष केंद्रीय कारागार लाया गया। तब से ये जेल के तृतीय खंड में बंदी थे। जब 11 वर्षों बाद जेल से जमानत पर छूटने पर मीडिया से बात करते वक्त नीतीश कुमार को परिस्थिति जन्य मुख्यमंत्री कहकर एक तरह से ललकारा। इसके बाद बिहार सरकार सक्रिय हो गई। उस रोज उनके स्वागत में राजद के कई विधायक, सांसद और कार्यकर्ता जेल गेट के बाहर खड़े थे।

नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री बन पहली पारी भाजपा के साथ मिलकर शासन किया। और दूसरी पारी का शासन जद (यू) राजद और कांग्रेस का महागठबंधन के हाथ में है। जिसके मुखिया नीतीश कुमार हैं । लेकिन शहाबुद्दीन के 11 साल बाद जमानत पर जेल से बाहर आने पर कई सवाल खड़े जरूर हुए थे। इससे सुशासन बाबू का शासन कमजोर होने की चर्चा राजनीतिक हलकों में तेज हुई। खासकर परिस्थितिजन्य मुख्यमंत्री वाले शहाबुद्दीन के बयान ने तो यह साबित ही कर दिया था। जाहिर है कुछ न कुछ अंदर ही अंदर खिचड़ी पक रही थी। यही बयान नीतीश कुमार को नागवार लगा। और बगैर किसी की परवाह किए बिहार सरकार शहाबुद्दीन मामले में सख्त हो गई। उस सख्ती का नतीजा कि बिहार का माफिया डॉन बिहार से दूर दिल्ली कि और तिहाड़ के लिए रवानगी दर्ज हुई |

बिहार में यह चर्चा गरम है कि ‘माई’ {मुस्लिम + यादव } समीकरण वाले दूसरे दलों के विधायकों को एकजुट कर कुछ गुल खिलाने की विसात बिछाई जा रही है। ताकि तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाया जा सके। वेलहर से विधायक गिरधारी यादव की शहाबुद्दीन के काफिले में मौजूदगी भी यह संकेत देती है। मालूम हो कि गिरधारी यादव की राजनीति धुरी लालूप्रसाद ही हैं । राजद से विधायक और बांका से सांसद रहे हैं । इस बात को सुशासन बाबू भी भांप गए हैं जिसके मद्देनज़र उन्होंने राज्य की ओर से कानून की बागडोर कसे रखी खासकर शाहबुद्दीन के केस में  सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से नीतिश ने राहत की साँस ली | कुल मिलाकर अपनी राजनीतिक हैसियत से प्राप्त नाम सुशासन बाबू को बचाने के लिए वह कुछ भी करने को तैयार हैं |उधर दूसरे खेमे के लोगों की चाल पर पानी फिरता नज़र आ रहा है |  फिलहाल इस फैसले से बिहार में कानून का राज मानने वालों के विश्वास में जाहिर है वृद्धि होगी और नितीश का ग्राफ बढ़ेगा| इब्तिदा-ए-इश्क है रोता है क्या , अब आगे-आगे देखिये होता है क्या |

 

 

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