देख लीजिये साहब… यहां रहने वालों की जान की कीमत गोमती नगर वालों से कम ही है

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मच्छरों की फौज ने चारों तरफ से अपने अस्त्र-शस्त्र डेंगू, चिकनगुनिया एवं वायरल के साथ इंसानों पर हमला बोल दिया है और इस हमले से निपटने में प्रदेश सरकार और स्थानीय सरकारों की आधी अधूरी कोशिशें नाकाफी साबित हो रही हैं।
ताजा मामला राजधानी के उत्तर पूर्वी छोर पर रिंग रोड कुर्सी रोड के बीच बसी बस्ती आदिल नगर का है जहाँ बच्चों से लेकर बुजुर्गों सहित लगभग आधी आबादी मच्छरों की महामारी से पीड़ित हैं और स्वास्थ्य विभाग एवं नगर निगम इससे बेफिक्र नजर आ रहा है।
शासन प्रशासन से निराश स्थानीय निवासियों के बुलावे पर जब हमारी टीम ने आदिल नगर का दौरा किया तो स्थिति बहुत ही भयावह दिखी जगह जगह बिना लाइसेंस के मीट की दुकानें, सार्वजनिक स्थानों का अतिक्रमण कर बने खाने के होटल, जहाँ तहां कूड़े के ढेर नजर आया।
भ्रमण के दौरान एक बस्ती की सड़क पर कूड़े का अंबार पड़ा मिला तफ्तीश करने पर पता चला कि रिटायर्ड पुलिस अधिकारी मो अहमद के बगल वाला प्लाट पिछले 15 साल से लावारिस हालत में है और आदिल नगर का सारा कूड़ा यहीं डंप होता है जब DON NEWS के संवाददाता ने उनके बेटे आरिफ से बात की तो उनके दिल का दर्द आंखों में छलक आया उनके घर के सारे बच्चे चिकनगुनिया से पीड़ित हैं और कूड़े से उठती दुर्गंध से रातों में सो पाना भी मुहाल है बिल्कुल ऐसे ही हालात हमें पूरे आदिल नगर में मिले वहीं दूसरी तरफ नगर निगम के बड़े बड़े दावे कूड़े के ढेर से उठती दुर्गंध में हवा होते नजर आये। साफ-सफाई और मच्छर मार दवाओं के छिड़काव के बाबत जब हमने नगर आयुक्त से बात की तो उन्होंने कंट्रोल रूम से शिकायत करने की सलाह देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली।
ये हाल तब है जबकि जन सरोकारों को मुस्तैदी से उठाने वाले सरकारी मीडिया के पत्रकार भी वहीं रहते हैं
ऐसे में सहज ही सवाल उठता है कि क्या आदिल नगर के लोगों की जान की कीमत किसी पॉश कॉलोनी में रहने वाले लोगों की जान से कम है?

2 COMMENTS

  1. कितनी बेबसी है यहां के लोगों में… कब जागेगा नगर निगम?

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