-अब्राहम मिएराज
सुप्रीम कोर्ट की मंशा को मुंह चिढ़ाते हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में धर्म और जाति के नये अवतारों का इस्तेमाल मतदाताओं को गोलबंद करने के लिये लगातार किया जा रहा है। ये ठीक है कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जाति और समुदाय के रूप में यादवों , दलितों , मुसलमानों से खुलेआम वोट नहीं मांग रही हैं वैसे ही जैसे धर्म के प्रतीक के रूप में भाजपा भले ही राममंदिर का जिक्र नहीं कर रही है लेकिन वह धर्म को राजनीति के केन्द्र में रखने के लिये दीवाली, होली, ईद, श्मशान, कब्रिस्तान और तीन तलाक जैसे मुद्दों को चुनाव के केन्द्र में रख रही है उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में यह धर्म का नया अवतार है।
भाजपा को लोकसभा चुनावों में वोट के धर्मिक धुव्रीकरण का सबसे अधिक लाभ मिला था विधानसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की वोटिंग के बाद भाजपा ने नये तरह के धर्मवाद को सामने रख कर प्रचार किया है उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के शुरुआत से ही सपा और बसपा में मुसलिम वोटों को हासिल करने की होड़ लग गई। सपा को मात देने के लिये बसपा ने सबसे अधिक मुसलिम प्रत्याशियों को टिकट दिया बसपा को लग रहा था कि भाजपा के मुकाबले केवल बसपा ही चुनाव मैदान में होगी क्योंकि परिवार में विवाद की वजह से सपा पिछड़ जायेगी। लेकिन कांग्रेस के तालमेल करने के बाद सपा ने मुसलिम मतों को बसपा के साथ खड़े होने में सेंधमारी कर दी जिससे अब बसपा के साथ साथ सपा-कांग्रेस गठबंधन भी मुसलिम मतों का दावेदार हो गया ऐसे में बसपा का बना बनाया दांव मिस हो गया। फतेहपुर में प्रधानमंत्री के भाषण के बाद जिस तरह से बसपा, सपा और कांग्रेस भाजपा पर धर्मिक धुव्रीकरण का आरोप लगा रहे हैं उसी तरह से भाजपा इन दलों को धार्मिक ध्रुवीकरण का जिम्मेदार मान रही है।
सपा और बसपा की परेशानी का सबसे बड़ा सबब यह है कि दलित और पिछडा वर्ग हिन्दुत्व के मुद्दे पर भाजपा का साथ देने को तैयार हो जाता है इसी को मद्देनजर रखते हुए भाजपा अब धर्म के नये प्रतीक उठा रही है वह गांव में रहने वाले दलित और पिछडे वर्ग के लोगों को समझा रही है कि जो सरकार कब्रिस्तान बनवा सकती है वह श्मशान क्यों नहीं बनवाती? जो ईद के लिये सतर्क और सर्वसुलभ रहती है वह होली दीवाली के लिये क्यों नहीं रहती ? अगर हज हाउस बन सकता है तो दूसरे धर्मिक संसाधन क्यों नहीं हो सकते? भाजपा को पता है कि अब राम मंदिर जैसे मुद्दे चुनाव में नहीं कारगर हो सकते, ऐसे में नये मुद्दे ही वोट दिला सकते हैं यह नये मुद्दे प्रचार में भी सहायक हो रहे हैं यही वजह है कि भाजपा अब धर्म के नये अवतार को सामने रख कर अपने राजनैतिक विरोधियों पर लगातार तीखा हमला करने में लगी है।
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