लखनऊ । भारत इस वक्त कोविड-19 जैसी भीषण महामारी से जूझ रहा है। भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने तबाही मचा रखा है और इस समस्या से उभरने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इस महामारी में स्वास्थ्यकर्मियों ने अद्भुत किरदार निभाया है, दिन-रात लगातार काम करते हुए मरीजों का इलाज करना और साथ ही उन्हें प्रेरित करना अपने आप में सराहनीय है। हम कह सकते हैं कि इस वक्त वो किसी भगवान से कम नहीं। परन्तु उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में एक साथ 19 डॉक्टर्स के इस्तीफे से हर कोई हैरान है।
उन्नाव में अचानक 19 स्वास्थ्यकर्मियों जिनमें कम्युनिटी हेल्थ सेंटर के 11 और प्राइमरी हेल्थ सेंटर 5 इंचार्ज शामिल हैं, के सामूहिक इस्तीफे से प्रशासन भी सकते में आ गया है। इन डॉक्टरों ने सामूहिक रूप से अपना इस्तीफा उन्नाव के सीएमओ को सौंपना चाहा परन्तु सीएमओ के इस्तीफा स्वीकार ना करने पर उन्होनें डिप्टी सीएम को अपना सामूहिक इस्तीफा सौंपा। इस्तीफे की पेशकश में मुरादाबाद हेल्थ सेंटर के प्रमुख डॉक्टर संजीव कुमार भी शामिल हैं।
डॉक्टर्स का आरोप है कि दिन-रात मेहनत करने के बाद भी प्रशासन की तरफ से उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है जैसे वो अपना काम ढंग से नहीं कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्रशासन के अधिकारी उनके साथ बुरा बर्ताव करते हैं और उन्हें जेल भेजने की भी धमकी देते हैं। उनके मुताबिक उन्हें यह एहसास दिलाया जाता है कि वो अपना काम ठीक से नहीं कर रहें हैं और जो भी परेशानी हो रही है वो डॉक्टर्स की वजह से हो रही है।
डॉक्टर्स का कहना है कि हम दिन भर काम करते हैं उसके बाद हमें 30-40 किलोमीटर दूर मीटिंग के लिए बुलाया जाता है यह पूछने के लिए हमने क्या काम किया। हमें बाध्य किया जाता है कि हम यह प्रूफ करें कि हमने क्या काम किया। हम पर झूठे आरोप लगाए जाते हैं।
इस घटना के बाद उन्नाव के डीएम ने तत्काल इस्तीफा देने वाले इंचार्जेज़ को मीटिंग के लिए बुलाया और उनसे इस्तीफे का कारण पूछा। दोपहर बाद डीएम ने यह जानकारी दी कि डॉक्टर्स ने इस्तीफा वापस ले लिया है।
इस मुद्दे पर उन्नाव के सीएमो डॉक्टर आशुतोष ने बताया कि उन्हें इन सब के बारे में कुछ भी नहीं पता था। वो नहीं जानते थे कि हेल्थ सेंटर के डॉक्टर जिला प्रशासन से नाराज चल रहे हैं। उनके मुताबिक डॉक्टर्स को पहले उन्हें अपनी परेशानी बतानी चाहिए थी। हमें यह बात तब पता चली जब हमें इस्तीफा सौंपा जाने लगा।
सीएममो का कहना है कि काम को कई स्तर पर मॉनिटर किया जाता है। डॉक्टर्स का स्थानांतरण भी नीतियों के आधार पर ही किया जाता है। उनके परफॉर्मेंस के आधार पर ही फैसला लिया जाता है। गौरतलब है कि डॉक्टर्स पहले से ही फतेहपुर और असोहा में प्राइमरी हेल्थ सेंटरों के प्रभारी अधिकारियों के ट्रांसफर से भी नाराज चल रहे थे।
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