तालिबान के आने के बाद कैसा है अफगानिस्तान? जानने के लिए पढिये न्यूज़ डॉन

देवबंद में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के मूल निवासी अहमद नवेद कुशानी अपने पिता पाईन्दा मोहम्मद कुशानी, मॉ कैन्डी कुशानी, भाई अहमद हामिद कुशानी और बहन कुदशिया कुशानी के साथ हाल ही में देवबंद पहुंचे। फिलहाल यह परिवार दारूल उलूम वक्फ क्षेत्र में जहीर अहमद के मकान में किराए पर रह रहा है

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लखनऊ / दिल्ली / काबुल । अफगानिस्तान की सत्ता तालिबान के हाथ में आने के बाद अफगानिस्तान के लोगों में भी कई तरह की आशंकाएं बढ़ गई हैं। देश में तालिबान का राज आने के बाद अफगानिस्तान के कई परिवार देश छोड़कर दूसरे देशों में शरण ले रहे हैं। ऐसा ही एक परिवार अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद पहुंचा हालांकि इस परिवार के माथे पर डर के साथ-साथ अपना देश छोड़ने की चिंता भी साफ दिखाई दे रही थी।अफगानिस्तान के हालात और तालिबान के आने के बाद वहां होने वाली जुल्म जियादती को लेकर न्यूज डॉन के सामने अपनी बात रखी।

देवबंद में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के मूल निवासी अहमद नवेद कुशानी अपने पिता पाईन्दा मोहम्मद कुशानी, मॉ कैन्डी कुशानी, भाई अहमद हामिद कुशानी और बहन कुदशिया कुशानी के साथ हाल ही में देवबंद पहुंचे। फिलहाल यह परिवार दारूल उलूम वक्फ क्षेत्र में जहीर अहमद के मकान में किराए पर रह रहा है।

हमारी रिपोर्टर्स ज़ीनत और आरिशा से बात करते हुए अहमद नवेद कुशानी ने अपने देश के मौजूदा हालात पर चिंता व्यक्त की उन्होंने बताया कि अफगानियों का भविष्य अधर में लटक गया है दुनिया में कोई देश अभी तालिबान हुकुमत को मान्यता देने के मूड में नही है जिससे वहां के लोगों के हालात और भी मुश्किल हो गये है।

अहमद नवेद कुशानी ने बताया कि उन्होने लखनऊ स्थित मदरसा नदवा से पढाई की है और वह देवबंद में दौरे हदीस की पढाई करने के लिए आये है। उन्होने बताया कि फिलहाल अफगानिस्तान में हालात बहुत खराब है अफगानी नागरिक वहां रहना नही चाहते, वीजा और पासर्पोट की दिक्कतों के चलते वहां से निकल भी नही पा रहे है। स्थायी हुकुमत ना होने के चलते सरकारी कार्यालय बंद है, लोगों के पास रोजगार नही है पैसे नही है सभी व्यवसाय ठप्प हो चुके है।

अहमद नवेद कुशानी का कहना है कि फिलहाल तो अफगानिस्तान के हालात खराब है। लेकिन अगर वहां स्थायी सरकार बनती है और हालात सामान्य होते है तो वह अपने देश जरूर जाएगें क्योंकि उनके खानदान के बहुत से लोग अभी काबुल में ही रह रहे है और उनकी पत्नी भी वही काबुल में है। लेकिन फिलहाल तो अफगाानी लोग वहां से निकलने की जददोजहद में है और अफगानिस्तान वापस जाना अभी संभव नही है।

अपने प्रोफेशन पर बात करते हुए अहमद नवेद कुशानी ने बताया कि वह ऑनलाईन शिक्षा दे रहे है और बहुत से देशो में  इस्लामिक शिक्षा ऑनलाईन के माध्यम से लोगों को दे रहे है। जिससे परिवार के गुजारे लायक पैसे मिल जाते है। उन्होने यह भी बताया कि उनके माता पिता बीमार है और उनका इलाज चल रहा है।

न्यूज़ डॉन के इस सवाल पर कि क्या आपने भारत की इंटेलिजेंस या सिक्योरिटी एजेंसियों को अपने प्रवास के बारे में जानकारी दी है इस पर उन्होंने बताया, जी हॉ। देवबंद के एलआईयू कार्यालय में जानकारी दी है।

अहमद नवेद कुशानी ने मकान स्वामी जहीर अहमद के साथ स्थानीय एलआईयू कार्यालय पहुंचकर मकान स्वामी और उनके बीच हुआ एग्रीमेंट दाखिल किया। साथ ही उन्होने एलआईयू कर्मियों से कानूनी औपचारिकताऐं पुरी करने की जानकारी ली। देवबंद एलआईयू कार्यालय ने अपने स्तर पर जानकारी लेने के बाद उन्हे सहारनपुर में अधिकारीयों से मिलने को कहा है।

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