अभी भी लड़ रहे हैं तालिबान से भिड़ रहे हैं लेकिन क्या तालिबान के तांडव को रोक पायेंगे ये!

अफ़ग़ानिस्तान की पंजशीर घाटी को लेकर तालिबान और उसकी विरोधी ताक़तों ने अलग-अलग दावे किए हैं. तालिबान ने पंजशीर घाटी को घेरने की जानकारी दी है तो विरोधी ताक़तों ने उसे इस इलाक़े से दूर रहने की चेतावनी दी है।

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लखनऊ / दिल्ली / काबुल । लगभग पूरे अफगानिस्‍तान पर तालिबान के कब्जे के बावजूद अभी एक इलाका ऐसा है, जहां से तालिबान के खिलाफ युद्ध की शुरुआत हो सकती है। एक ऐसा सक्षम नेता भी है, जो इस युद्ध का नेतृत्व कर सकता है। अफगानिस्तान के उपराष्‍ट्रपति अमरुल्‍ला सालेह ने तालिबान के सामने हथियार डालने से साफ इंकार कर दिया है।

बता दें कि काबुल पर तालिबान के कब्जे के बावजूद ना तो उन्होंने देश छोड़ा और ना ही संघर्ष। तालिबान के काबुल पहुंचने तक सालेह अंडरग्राउंड हो चुके थे। माना जाता है कि वो अपने अंतिम ठिकाने, काबुल के पूर्वोत्‍तर में स्थित पंजशीर घाटी पहुंच गये हैं। अफगानिस्तान में काबुल सहित देश के अधिकतर हिस्सों पर तालिबान का कब्जा हो चुका है।

इसके बावजूद अफगानिस्तान में कई ऐसे इलाके हैं जहां के लोग तालिबान के खिलाफ विद्रोह का झंडा उठाए हुए हैं। इन्हीं में से एक है नॉर्दन अलायंस के पूर्व कमांडर अहमद शाह मसूद का गढ़ पंजशीर घाटी। यह इलाका हिंदुकुश के पहाड़ों के पास स्थित है।

अफ़ग़ानिस्तान की पंजशीर घाटी को लेकर तालिबान और उसकी विरोधी ताक़तों ने अलग-अलग दावे किए हैं. तालिबान ने पंजशीर घाटी को घेरने की जानकारी दी है तो विरोधी ताक़तों ने उसे इस इलाक़े से दूर रहने की चेतावनी दी है।

शेर ए पंजशीर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद की अगुवाई में यहां पर नॉर्दर्न एलायंस लगातार तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। पिछले दिनों में तालिबान की ओर से पंजशीर के एंट्रेंस पर हमला करना तेज हुआ है, वह लगातार घुसपैठ की ताड़ में बैठा है।

अहमद मसूद के अलावा खुद को अफगानिस्तान के कार्यकारी राष्ट्रपति घोषित कर चुके अमरुल्ला सालेह भी अभी पंजशीर में ही हैं। अमरुल्ला सालेह ने ट्वीट कर कहा है कि पंजशीर हर अफगान नागरिक के हक के लिए लड़ाई लड़ रहा है. पंजशीर आखिरी दम तक अफगान के लोगों के लिए लड़ता रहेगा।

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