गैंग्स आफ वासेपुर के रामाधार सिंह ने ठीक कहा था “जब तक साला सलीमा रहेगा तब तक पब्लिक..#तिया बनता रहेगा”

कल खाली वक्त मैं फिर से लगे रहो मुन्नाभाई देख रहा था और सोच रहा था कि देश के हर लीडर को मुन्नाभाई के माफिक होना चाहिए। प्यार से मुहब्बत से काम पूरा। ठीक उसी वक्त मी लॉर्ड लोगों का जजमेंट आ गया।ED डायरेक्टर संजय मिश्रा के कार्यकाल बढाये जाने के आदेश के संदर्भ में पढिये वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक र राकेश कायस्थ का व्यंग्यात्मक लेख।

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ये देश क्या है, एक ठो सलीमा है। वही सलीमा जिसके बारे में वासेपुर के समाजसेवी रमाधार सिंह ने कहा था कि जब तक साला सलीमा रहेगा पब्लिक चूतिया बनता रहेगा। लेकिन मामला एकदम उल्टा है। पब्लिक देश को सलीमा मानती है और गंजेड़ी की तरह एंटरटेनमेंट के लंबे कश खींचकर मस्त रहती है। पब्लिक अगर देश को सलीमा और सरकार को सर्कस नहीं मानती तो फिर फैजलवा की तरह गिन-गिनकर सबका बदला लेने पर उतारू हो जाती।

बीस साल पहले बहुत तगड़ा खेला आया था—मुन्नाभाई पार्ट वन। मुन्नाभाई का चेला सर्किट बहुत चमत्कारी था। हिस्ट्रीशीटर था लेकिन कभी तड़ीपार नहीं हुआ। सर्किट ने प्यार-मुहब्बत से एक टॉपर डॉक्टर के बाप को बंधक बना लिया। टॉपर बेचारा क्या करता, मुरली प्रसाद शर्मा उर्फ मुन्ना बनकर मेडिकल का एंट्रेस एग्जाम देने गया। उसके बाद मुन्नाभाई ने अख्खी बस्ती को बताया—अपुन टॉप कियेला है। अब बस्ती को मु्न्नभाई पर गर्व करना चाहिए कि नई करना चाहिए?

पार्ट टू में मुन्नाभाई को जाह्वी का दिल जीतना था। रेडियो पर बापू को लेकर लाइव क्विज था और क्विज मास्टरनी थी जाह्वी। सर्किट आधा दर्जन बूढ़े प्रोफेसर्स को पकड़ के आया। जिसने मुन्नाभाई को सही जवाब बताया उसके इलेक्ट्रिक आयरन और प्रेशर कुकर जैसे इनाम दिये। जिसने बोला कि इस तरह जीतना चार सौ बीसी है, सर्किट ने उसकी मुंडी बाल्टी डुबोई। मोराल ऑफ द स्टोरी ये कि प्यार-मुहब्बत से मुन्नाभाई फिर जीत गया।

कल खाली वक्त मैं फिर से लगे रहो मुन्नाभाई देख रहा था और सोच रहा था कि देश के हर लीडर को मुन्नाभाई के माफिक होना चाहिए। प्यार से मुहब्बत से काम पूरा। ठीक उसी वक्त मी लॉर्ड लोगों का जजमेंट आ गया।मैटर ये था कि मुन्नाभाई के वसूली करने वाला मिसरा नाम के एक आदमी को मी लॉर्ड तड़ीपार करने पर तुले थे। मुन्नाभाई ने बोला—रूक जाओ मी लॉर्ड, जितनी सुपारी लियेला है, उतना काम पूरा कर लेने दो। मी लॉर्ड लोग गुस्से में आकर बोले– ऑर्डर इज़ फाइनल। मिसरा 31 जुलाई के बाद परमानेंटली तड़ीपार होगा। ये सुनकर मुन्नाभाई टेंशन में आया लेकिन सर्किट बोला- भाई अपुन है, प्यार मुहब्बत से समझा देगा सब बरोबर हो जाएगा।

प्यार वो नहीं होता जिसका प्रचार आजकल पप्पू कर रहा है। प्यार वही है, मुन्ना-सर्किट बोले। कोई और अर्जी लेकर जाता तो मी लॉर्ड फटकार भगा देते। लेकिन मी लॉर्ड बोले— क्या तुम्हारे पास मिसरा के अलावा कोई और आदमी नहीं है? सर्किट हंसकर बोला– बस ऐसाइच समझ लो मी लॉर्ड।मी लॉर्ड उस तरह बोले—लोग क्या कहेंगे? पुराने जमाने में शर्माती हुई हीरोइन भी ऐसे ही बोलती थी। सर्किट जोर से हंसा—पब्लिक को घंटा फर्क पड़ेगा, तुम तो बस साइन मारो मी लार्ड।

… और मी लॉर्ड ने हैप्पी एडिंग फिलिम की तरह साइन मार दिया। मिसिरा ने जिनकी-जिनकी सुपारी ली है, अगले डेढ़ महीने में उन सबकी पुंगी बजाएगा और चूतिया पब्लिक ताली बजाएगी। मी लॉर्ड से दरख्वास्त है कि वो जहां बैठते हैं, उसे मल्टीप्लेक्स बनवा दें, सारा प्रॉब्लेम ही खत्म। पब्लिक रात-दिन सलीमा देखेगी और सीटी मारेगी। इंसाफ के लिए मुन्नाभाई के घर बाहर घंटा लटकवा दो। वैसे भी इंसाफ में पब्लिक को घंटा ही मिलता है।

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