संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमिटी के चेयरमैन और भारत के प्रथम कानून मंत्री बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने कहा था, शिक्षा शेरनी का वो दूध है जो इसे पी लेता है वो गुर्राने लगता है। भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इन्दिरा गॉधी ने कहा था, शिक्षा मानव को तमाम बंधनों से मुक्त करती है। इन्हीं सूत्र वाक्यों को लेकर देश की जनता को जागरूक एवं शिक्षित करने के प्रयास किए गये लेकिन उदारीकरण वैश्वीकरण और आधुनिकीकरण के भौतिकवादी युग में सब कुछ मुट्ठी में मौजूद है फिर भी मुट्ठी खोल कर देखने पर नैतिकता आध्यात्मिकता सामाजिकता एवं कर्तव्यनिष्ठा के मूल तत्व नजर नहीं आते।
कल्पना कीजिये उस दौर को जब इक्का दुक्का मोटरकार हुआ करती थीं। गरीबों की सवारी कही जाने वाली साइकिल भी उस वक्त स्टेटस सिंबल हुआ करती थी। आज की तरह ‘कर लो दुनिया मुट्ठी में’ जैसे नारों के लिए एंड्रॉयड मोबाइल नहीं हुआ करते थे फिर भी देश के संविधान निर्माताओं ने ‘शिक्षा आपके द्वार’ तक पहुंचाने के लिए अद्भुत प्रयास किये थे जिसके निशान आज भी मौजूद हैं।
ये कहानी पूर्ववर्ती बिहार प्रदेश और वर्तमान में झारखण्ड राज्य की है इसे रांची के रेडियो जॉकी इसरार वारसी ने शेयर किया है उन्होंने न्यूज डॉन से बातचीत करते हुए कहा कि एक रेडियो प्रोग्राम के सिलसिले में मैं दुमका जिले की राजकीय पुस्तकालय (Government Library) गया था । मेरी नजर वहां के कैंपस में खड़े भ्रमणशील पुस्तकालय वाहन पर पड़ी तो मैं इसके बारे में जानने के लिए उत्सुक हो गया।
राजकीय पुस्तकालय के अधिकारियों से बातचीत में पता चला कि यह भ्रमणशील पुस्तकालय वाहन सम्पूर्ण संथाल परगना में भ्रमण करता था। 1 लीटर के इंधन में 3 किलोमीटर चलने वाला यह वाहन अपने साथ एक ट्रॉली भी लेकर चलता था, जिसमें चार साइकिल चालक हुआ करते थे। लाइब्रेरियन बताते हैं कि जिन गॉवों में सम्पर्क का कोई रास्ता नहीं होता था वहां साइकिल से पाठ्य सामग्री व समाचार सूचनाएं पहुंचाया करते थे।
RJ Israr Warsi कहते हैं रेडियो के अनुभवों में से यह एक शानदार अनुभव है। शिक्षा के प्रति सरकारों के इस जुनून की कल्पना कर के मन रोमांचित हो जाता है कि तकरीबन 65 साल पहले के दौर में यहां के परिवेश में शिक्षा आपके द्वार तक पहुँचाने की अद्भुत व्यवस्था थी।
रेडियो जॉकी इसरार कहते हैं कि प्राकृतिक संसाधनों के मामले में झारखंड समृद्ध है लेकिन नीतियों एवं कार्यक्रमों के अनुपालन के अभाव संसाधनों की अनुपलब्धता प्रथम प्रश्न के रूप उपस्थित होती है लेकिन इसी शहर में पुराने दिनों की ऐसी सोच को सलाम करने का जी चाहता है। इसरार ने हमारे संवाददाता प्रिंस और विकास के एक सवाल के जवाब में बताया कि भ्रमणशील पुस्तकालय वाहन की मरम्मत करके इसे विशिष्ट संग्रह के रूप में अब प्रांगण में रखा जाएगा।
वाह । शानदार स्टोरी