सनातन धर्म हो या इस्लाम धर्म, दोनों ही धर्मो में दाढी को मर्दों का मयार माना जाता है तो क्या हुआ कि लिखने वाला दाढी़ नहीं रखता या पढने वाला दाढी़ नहीं रखता। हमारा देश चूंकि वाचिक (बोल कर ज्ञान देने की) परंपरा का देश है इसलिए हम ज्यादातर बोल कर देने वाले ज्ञान से ही ज्ञान प्राप्त करते हैं।
हाल ही में देश के पब्लिक टीवी चैनल दूरदर्शन पर हमने रामायण देखा उसमें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के पिता श्री को हमने दाढी़ में देखा, प्रभु श्रीराम के गुरु ब्रह्मर्षि वशिष्ट को दाढी़ में देखा श्रीराम के अभिन्न अंग हनुमान जी की भी दाढी़ है तमाम रिषि मुनीयों को हमने दाढी़ मे देखा यहां तक वानर सेना के भी ज्यादातर सेनापतियों के भी दाढी़ रही है।
अब आईये महाभारत का भी अवलोकन कर लें जरा सोचिये अगर भीष्म पितामह के चेहरे पर दाढी़ न होती गुरु द्रोणाचार्य के चेहरे पर दाढी़ न होती यहां तक कि धृतराष्ट्र के चेहरे पर दाढी़ न होती, तो क्या उनके चेहरे पर वैसी रौनक होती क्या उनका वैसा कद्दावर व्यक्तित्व उभर कर सामने आ पाता? जिसे हम आज admire करते हैं। और हॉ मैं अपने नायक बेहद नर्म दिल एवं न्याय शिरोमणि परशुराम जी को कैसे भूल सकता हूं वो तो बिना दाढी़ के! उफ्फ मैं तो कल्पना भी नहीं कर सकता।
जहां तक इस्लाम में दाढी के concept की बात है तो आईये उसे एक वाकये से समझते हैं, बात पैग़म्बर मुहम्मद के जमाने की है मुहम्मद साहब के एक साथी के चेहरे पर दाडी के नाम पर सिर्फ एक बाल थे उन्हें बहुत odd सा लगता था उन्होंने सोचा कि एक बाल ठीक नहीं लगता इसलिए चलो इसे कटवा देते हैं और उन्होंने उस इकलौते बाल को कटवा दिया। अब जब वो पैग़म्बर मुहम्मद के हुजूर में हाजिर हुए तो बिना एक बाल वाले चेहरे को देखकर मुहम्मद साहब नाराज हुए कुछ अध्यात्मिक ज्ञान भी दिया लेकिन आज की पीढ़ी के लिए जो कहा वो भी important है उन्होंने अपने साथी से कहा, दाढी़ मर्द के handsome और dashing दिखने के लिए अच्छी चीज है।
खैर दाढी़ की अजमत और मयार के बारे में लिखने के लिए बहुत कुछ है लेकिन हमने जो टाइटल दिया है आईये उस पर बात कर लें, मीडिया में जो खबरें आ रही है उसके अनुसार घटना 23 मार्च की है मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उर्फ “मामा”, उनकी पुलिस ने बैतूल के वकील दीपक बुंदेले को अस्पताल जाते वक्त लात घूंसे और डंडे से पीटा है दीपक कहते रहे कि, मैं पिछले पन्द्रह साल से डायबिटीज और हाइपरटेंशन का मरीज हूँ मुझे लाइफ सेविंग दवा नहीं मिली तो मैं दो दिन भी survive नहीं कर पाऊंगा मैं मर जाऊंगा मुझे जाने दीजिये फिर भी पुलिस ने उन पर कोई दया नहीं किया और मन भरने तक उन्हें पीटती रही।
अब जबकि दीपक बुंदेले ने अपने खिलाफ हुई ज्यादती के बारे में पुलिस पर कोर्ट में केस कर दिया है तो पुलिस क्या कह रही है वो सुनिए, और अगर भारतीय संस्कृति में विश्वास है तो पुलिस की ऐसी मानसिकता के लिए लानत भेजिये। पुलिस कह रही है, “वकील साहब हमसे भूल हो गई हम नहीं समझ पाये कि आप हमारे है आपकी #दाढ़ी देख कर हमें लगा कि आप मुसलमान हैं।
“मामा जी, अगर मुस्लिम पहचान या प्रतीक देख कर मुसलमानों को पीटना आपकी पुलिस को Justify लगता है तो बस आपका ये भांजा इतना ही कहेगा कि, “सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास” के नारे को फलितार्थ करने मे जुटे कर्मयोगी के चेहरे पर भी माशाअल्लाह बहुत खूबसूरत दाढी़ है।
शानदार एवं दिलचस्प स्टोरी