चाहे जितना भी दो गारी! मुसलमानों पर दीदी की ममता है जारी।

0
916
By news DON Bureau

कोलकाता। पश्चिम बंगाल के कमिशन फॉर बैकवर्ड क्लासेज ने सोमवार को यह तय किया कि मुस्लिम समुदाय की ‘खास’ जाति को भी ओबीसी कैटिगरी के अंतर्गत लाया जायेगा । अब तक मुस्लिम समाज के करीब 113 समुदायों को ओबीसी कैटिगरी में शामिल किया जा चुका है।
राज्य सरकार की रिपोर्ट्स के मुताबिक रिजर्वेशन का लाभ करीब 2 करोड़ 47 लाख मुस्लिमों को मिल रहा है। यह आंकड़ा राज्य की कुल मुस्लिम आबादी का 95 प्रतिशत है। राज्य सरकार में 17 प्रतिशत नौकरियां ओबीसी कैटिगरी के लिए आरक्षित हैं।
इस समय बंगाल में सरकारी प्राइमरी टीचरों की भर्ती चल रही है और करीब 7480 कैंडिडेट ओबीसी कैटिगरी के तहत चुने जा चुके हैं। प्राइमरी एजुकेशन बोर्ड के अनुसार भर्ती किए गए स्टाफ में से आधे से ज्यादा आरक्षण के जरिए आए हैं।
पिछले साल 3000 एमबीबीएस और बीडीएस सीटों में से 400 मुस्लिम छात्रों के लिए आरक्षित थीं। 2013 में प्राइमरी एजुकेशन बोर्ड ने घोषणा की थी कि 17000 सीटों पर भर्ती इसलिए नहीं की जा सकी क्योंकि उन्हें इन पोस्ट्स के लिए योग्य लोग नहीं मिले। इन सीटों में से काफी ज्यादा सीट एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित थीं।
पश्चिम बंगाल प्राइमरी एजुकेशन बोर्ड के चेयरमैन मानिक भट्टाचार्य ने कहा, ‘इस साल योग्य उम्मीदवारों की कोई कमी नहीं है। इस साल कैटिगरी ए से 175 ओबीसी कैंडिडेट और कैटिगरी बी से 31 कैंडिडेट वैकेंसी न होने की वजह से भर्ती नहीं किए जा सके।’
एससी, एसटी और ओबीसी के लिए काम करने वाले एक एनजीओ का कहना है कि राज्य सरकार का कोटा सिस्टम असंवैधानिक है। एनजीओ ने राज्य सरकार के आरक्षण सिस्टम के खिलाफ कलकत्ता हाई कोर्ट में केस किया है। इस केस पर आखिरी सुनवाई 23 अप्रैल को होगी।
विपक्ष ने सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम लगाने पर सवाल उठाए हैं। विपक्ष के अनुसार, कैटिगरी ए में केवल मुस्लिम ही आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं। अल अमीन मिशन फाउंडर सेक्रेटरी मोहम्मद नुरुल इस्लाम ने बताया कि इस साल 600 मुस्लिमों को मेडिकल में मौका मिला है, यह कुल सीटों का 20 प्रतिशत है।

LEAVE A REPLY