क्या है लेबर लॉ बदलने का चाइना कनेक्शन, जिससे निवेश आएगा और नौकरियां पैदा होंगी !

यूपी, मध्य प्रदेश और गुजरात में लेबर लॉ में बदलाव किया है, जिसके तहत वर्किंग आवर 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे करने को मंजूरी मिल गई है। सरकारों के इस फैसला का चीन से गहरा कनेक्शन है, जिसे समझना जरूरी है

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नई दिल्ली : हाल ही में यूपी, मध्य प्रदेश और गुजरात में लेबर लॉ में बदलाव किया गया है। सबसे बड़ा बदलाव तो ये है कि कंपनियों को वर्किंग आवर 12 घंटे करने की इजाजत मिल गई है। हालांकि, सरकार ने कहा है कि सिर्फ वही कर्मचारी या मजदूर 8 घंटे से अधिक काम करेंगे, जो करना चाहेंगे, लेकिन इस बात का भी डर है कि कंपनियां इसका इस्तेमाल अपने फायदे और मजदूरों का शोषण करने के लिए कर सकती हैं। इसी वजह से ट्रेड यूनियन इसका विरोध भी कर रही हैं, लेकिन सरकारों का तर्क है कि इससे निवेश आकर्षित होगा और नौकरियां पैदा होंगी।

चाइना कनेक्शन, जिससे आएगा निवेश और नौकरियां

सरकार जिस निवेश की बात कर रही है, दरअसल वही लेबर लॉ का चाइना कनेक्शन है। चीन से करीब 1000 कंपनियां निकलने की फिराक में हैं और भारत की कोशिश है कि उन कंपनियों को अपनी ओर खींचा जा सके। ऐसे में लेबर लॉ बदला जा रहा है, ताकि इन कंपनियों को वैसा ही माहौल दिया जा सके, जैसा उन्हें चीन में मिला हुआ था। बता दें कि चीन में अधिकतर आईटी कंपनियों में 12 घंटे तक भी काम होता है। अगर ये 1000 कंपनियां भारत में आ जाती हैं तो बेशक भारी-भरकम निवेश आएगा और जब इतनी सारी कंपनियां यहां आएंगी तो उससे नौकरियां भी पैदा होंगी।

कंपनियों को शोषण का हथियार मिल जाएगा

लेबर लॉ में बदलाव कर के 12 घंटे की शिफ्ट को मंजूरी देना तो सिर्फ एक पहलू है। इसके अलावा बचाव के उपायों में भी ढील दी गई है, जिसे लेबर सेफ्टी के लिए सबसे अधिक जरूरी माना जाता है। यही वजह है कि ट्रेड यूनियनें इसके खिलाफ हैं। मौजूदा समय में इतने सख्त नियमों के बावजूद बहुत सारी कंपनियां मजदूरों का शोषण करने से नहीं चूकती हैं तो फिर नियमों में ढील देने के बाद तो कंपनियों को शोषण करने का एक हथियार ही मिल जाएगा।

12 घंटे शिफ्ट यानी 996 वर्किंग आवर सिस्टम

चीन में बहुत सारी आईटी कंपनियों में 12 घंटे की शिफ्ट होती है। इसे चीन में 996 वर्किंग आवर सिस्टम भी कहते हैं, क्योंकि इससे तहत सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक हफ्ते में 6 दिन काम होता है, यानी 72 घंटे। चीन में भी और बाहर के देशों में भी इसकी आलोचना होती रही है, लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी वाले चीन में ये चलता आ रहा है। इसके खिलाफ वहां कुछ प्रदर्शन भी हुए।

चीन से बाहर क्यों जा रही हैं 1000 कंपनियां?

पिछले दिनों से ये खबर आ रही है कि कोरोना वायरस की वजह से करीब 1000 मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां चीन छोड़ने की तैयारी में हैं। भारत उनके लिए नया ठिकाना हो सकता है और मोदी सरकार अब इसी कोशिश में लगी है कि उन्हें भारत में आकर्षित किया जाए। चुनौती ये है कि चीन जैसा इंफ्रास्ट्रक्चर और चीन जितनी सस्ती लेबर कहां से लाएं? इसी वजह से लेबर लॉ बदला जा रहा है, ताकि इन कंपनियों को लुभाया जा सके।

चीन में ऐसा क्या था कि ये कंपनियां वहां रहीं?

अगर बात चीन की करें तो वहां पर सबसे अहम चीज थी लेबर और इंफ्रास्ट्रक्चर। लेबर की बात करें तो एक तो वहां सस्ती लेबर है, आसानी से मिल जाती है और ऊपर से चीन की कम्युनिस्ट सरकार लेबरों के लिए जो नियम बना देती है, उसे सब मानते हैं। ऐसे में कंपनियों को लेबर की तरफ से या लेबर के लिए कोई दिक्कत नहीं होती है। वहीं चीन ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर तो खूब काम किया ही है, जिससे कंपनियां चीन में अपने प्रोडक्शन हब लगा लेती हैं। भले ही वह कंपनी अमेरिका की हो या जापान की हो या अन्य देशों की, वह अपने देश में प्रोडक्शन हब ना लगाकर दूसरे देश में प्रोडक्शन हब लगाती हैं और चीन जैसे देश इसके लिए सबसे बेहतर विकल्प होते हैं।

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