लखनऊ / दिल्ली । जलियांवाला बाग का नवीनीकरण पिछले साल पूरा होना था लेकिन कोविड की वजह से काम रुक गया था। पहले बाग सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुलता था लेकिन अब यह देर शाम तक खुलेगा। कोरोना संकट के चलते करीब डेढ़ साल से बंद जलियांवाला बाग नए अवतार में सैलानियों के स्वागत के लिए तैयार है। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल कार्यक्रम में इसे जनता के लिए खोला। शहीद स्मारक पर 20 करोड़ रुपये खर्च कर नया रूप दिया गया है। प्रवेश द्वार से लेकर स्मारक तक कई बदलाव सैलानियों को आकर्षित करेंगे। चार नई गैलरियां बनाई गई हैं। एक थिएटर का निर्माण भी किया गया है।
जलियांवाला बाग के अंदर कुएं के चारों तरफ गैलरी बनाई गई है। इसकी सुरक्षा के लिए कांच लगाया है। कुएं से कुछ आगे शहीदी स्मारक को भी नया रूप दिया गया है, जो रात के समय रोशनियों से सैलानियों को आकर्षित करेगा। अंग्रेजों की क्रूरता की गवाह रहीं गोलियों के निशानों को भी स्मारक पर सुरक्षित किया गया है।
नए थिएटर में एक बार में 80 सैलानी प्रवेश कर सकेंगे। जलियांवाला बाग नरसंहार पर विशेष डिजिटल डॉक्यूमेंट्री तैयार की गई है, जो 13 अप्रैल 1919 को अंग्रेजी सेना की गोलियों से शहीद लोगों पर केंद्रित है। इसमें अंग्रेजों द्वारा जलियांवाला बाग में बैठे बेकसूर लोगों पर गोलियां बरसाए जाने का दृश्य दिखाया गया है।जलियांवाला बाग में निर्मित एक गैलरी में पंजाब के इतिहास को दर्शाया गया है, जिसमें अंग्रेजों के खिलाफ चलाए आंदोलन की जानकारी नई पीढ़ी को मिलेगी। दूसरी गैलरी में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों द्वारा भारतीयों पर किए अत्याचार और पंजाब के शूरवीरों की बहादुरी दर्शाती प्रदर्शनी है। एक गैलरी में अंग्रेज सैनिकों द्वारा गोलियों का शिकार बनाने के किस्से दर्शाए हैं तो दूसरी में जनरल डायर और ऊधम सिंह से जुड़ी तस्वीरें हैं। शहीद भगत सिंह से जुड़े रोचक चित्र भी यहां हैं।
जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल 1919 को जनरल डायर के निर्देश पर अंग्रेजी सेना ने दस मिनट में 1650 राउंड गोलियां चलाकर हजार से ज्यादा लोगों को मार दिया था। इनमें छह साल के बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक शहीद हुए थे। जलियांवाला बाग की दीवार पर लगी गोलियां और शहीदी कुआं हमारी युवा पीढ़ी को उन बच्चों की याद ताजा करवाएगा, जिन्होंने अपनी जिंदगी के कई सपने देखे थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अमृतसर में जीर्णोद्धार के बाद तैयार किए गए जलियांवाला बाग स्मारक कॉम्प्लेक्स का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होने कहा कि किसी भी देश को अपना इतिहास नहीं भूलना चाहिए। जलियांवाला में 13 अप्रैल 1919 के वे 10 मिनट हमारे स्वतंत्रता संघर्ष की कहानी बन गए। असंख्य क्रांतिकारियों को जान कुर्बान करने का साहस दिया। कार्यक्रम की शुरुआत गुरबाणी से हुई और इस अवसर पर दो मिनट का मौन रख कर शहीदों को याद किया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक के परिसर का वर्चुअल उद्घाटन करते हुए कहा कि बाग के नए स्वरूप ने बलिदान की गाथाओं को जीवंत बना दिया है। बाग की दीवार और स्मारक युवा पीढ़ी को याद करवाएगा कि देश की आजादी के लिए हमारे बुजुर्गों ने क्या क्या किया और आजादी के लिए कैसे संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि हमें अपने हर काम में देश को सर्वोपरि रखना चाहिए। इतिहास की घटनाएं हमें सिखाती हैं और आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने 13 अप्रैल को बैसाखी वाले दिन ही खालसा पंथ की स्थापना कर पीढ़ियों को कुर्बानी का पाठ पढ़ाया। गुरुओं की कुर्बानी हमें सिखाती है कि सुख दूसरों की सेवा करने से आता है। हालात बहुत मुश्किल हैं और चुनौतियां बहुत हैं। कोरोना काल और अफगानिस्तान में हुई घटनाओं के बाद ऑपरेशन देवी शक्ति के तहत हजारों लोगों को ही सुरक्षित भारत लाया गया। उन्होंने कहा कि देश के बंटवारे में पंजाब के लोग भुक्तभोगी हैं। उनकी पीड़ा देश का हर व्यक्ति महसूस करता है। इसलिए हमने 14 अगस्त को हर साल विभाजन विभीषिका के तौर पर मनाने का फैसला किया है।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि जलियांवाला बाग में हजार से ज्यादा लोग शहीद हुए जबकि सरकारी रिकार्ड में सिर्फ 488 लोगों के शहीद होने के प्रमाण हैं। जलियांवाला बाग में तब शहीद होने वाले गांवों के लोगों की पहचान के लिए उन्होंने गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी की टीम लगाई है। इससे उनके गांवों में यादगार बनाई जा सके और उन गांवों के विकास के लिए अतिरिक्त फंड मुहैया करवाए जा सके।
कैप्टन ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि भारत सरकार अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर शहीद उधम सिंह की पिस्तौल और निजी डायरी जैसी निशानियों को ब्रिटेन से भारत लाए। मुख्यमंत्री ने बताया कि वह इस संबंध में पहले ही केंद्रीय विदेश मामलों के संबंधी मंत्री डॉ. जयशंकर को पत्र लिख चुके हैं।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जलियांवाला बाग स्मारक को नौजवानों के लिए प्रेरणा का प्रतीक बताते देते हुए कहा कि यह स्मारक हमारी भावी पीढ़ियों को लोकतांत्रिक ढंग से शांतिपूर्ण रोष प्रकट करने के लोगों के अधिकार की याद दिलाता रहेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक ढंग से रोष प्रकट करना भारतीयों का अटूट अधिकार है, जिसे कुचला नहीं जा सकता, क्योंकि अंग्रेजों ने भी जलियांवाला बाग की घटना से सबक सीखा था।
कैप्टन ने कहा कि राज्य सरकार ने इस दुखांत की शताब्दी मनाने के लिए हाल ही में 14 अगस्त, 2021 को अमृतसर में एक अलग स्थान पर जलियांवाला बाग शताब्दी स्मारक समर्पित किया था। उन्होंने बताया कि इस स्मारक पर रिकॉर्ड के अनुसार उपलब्ध सभी 488 शहीदों के नाम उकेरे गए हैं।