1971 वाली गलती नहीं दुहरायेंगे, हाईवे पर फाइटर जेट लैंड करायेंगे

आपको बता दें कि ये हवाई पट्टी भारत-पाक सीमा से महज 40 किलोमीटर दूर है । इसका निर्माण भारत माला प्रोजेक्ट के तहत बने हाइवे NH-925 ए पर हुआ है। हवाई पट्‌टी की चौड़ाई 33 मीटर है और इकी लंबाई 3 किलोमीटर है। हाइवे पर सिर्फ लैंडिंग ही होगी या और सुविधाएं भी! इस पर न्यूज डॉन की संवाददाता ज़ीनत ने एक रिपोर्ट भेजी है। 

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लखनऊ / दिल्ली / जयपुर । पाकिस्तान सीमा से सटे सरहदी इलाके में देश की वायुसेना इतिहास रचने जा रही है। यहां सेना के लड़ाकू विमान सीधे हाइवे पर लैंड करने वाले हैं। आपात परिस्थितियों के लिये भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बने नेशनल हाइवे 925 ए पर  हवाई पट्‌टी बनाई गई है। इसकी मॉक ड्रिल में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी शामिल होने वाले हैं यह हवाई पट्‌टी जालाेर जिले के चितलवाना में बनाई गई है। हमारी संवाददाता ने बताया कि इस हवाई बेस का इस्तेमाल वायुसेना इमर्जेंसी में कर सकेगी।

करीब 50 साल पहले पाकिस्तान से युद्ध जैसी आपात परिस्थितियों में वायुसेना के भुज एयरबेस पर जो हुआ, अब वैसी नौबत नहीं आए। इसलिए इस प्रोजेक्ट की जरूरत थी। तब 8 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान के जेट्स ने वायुसेना के भुज एयरबेस पर बम दागे थे। इससे एयरबेस का रनवे तबाह हो गया था। युद्ध के दौरान वहां सारे हवाई ऑपरेशन्स में रुक गए थे। भविष्य में ऐसे हालात पैदा न हों इसके लिए यह प्रोजेक्ट जरूरी था। अब वायुसेना को अपने ऑपरेशन्स के लिए और अधिक विकल्प और सीमा से सटे इलाकों में तत्काल एक्शन के लिए आसानी होगी।

आपको बता दें कि ये हवाई पट्टी भारत-पाक सीमा से महज 40 किलोमीटर दूर है । इसका निर्माण भारत माला प्रोजेक्ट के तहत बने हाइवे NH-925 ए पर हुआ है। हवाई पट्‌टी की चौड़ाई 33 मीटर है और इकी लंबाई 3 किलोमीटर है। हाइवे पर सिर्फ लैंडिंग ही होगी या और सुविधाएं भी! इस पर न्यूज डॉन की संवाददाता ज़ीनत ने एक रिपोर्ट भेजी है।

इस हवाई पट्टी पर लड़ाकू और अन्य विमानों की लैंडिंग होगी। यहां फाइटर जेट्स के उतरने और पार्किंग के साथ अन्य सुविधाएं भी विकसित की गई हैं। हवाई पट्टी के दोनों ओर दो पार्किंग बनाई गई हैं। साथ ही एक दो मंजिला एटीसी केबिन भी बना है। इसमें वॉशरूम सुविधा भी है। लैंडिंग के समय हाइवे पर व्यवस्था एवं अन्य सुविधाओं के बारे में बताया कि, इस हवाई पट्‌टी का निर्माण पूरी तरह से आपातकालिन सेवाओं के लिए किया गया है। यानी हाइवे पर विमानों की लैंडिंग के समय अन्य यातायात बंद रहेगा। लेकिन फिर भी हवाई पट्टी के साथ-साथ 3.5 किलोमीटर लंबी सर्विस रोड बनाई गई है इसकी चौड़ाई भी 7 मीटर रखी गई है।

भारत माला परियोजना के एनएच-925 ए पर यह रनवे बनाया गया है। जालोर जिले के अगड़ावा से सेसावा के बीच यह आपातकालीन हवाई पट्टी बनकर तैयार है। इस हवाई पट्टी को बनाने में करीब 32.95 करोड़ रुपए लागत आई है। देश में हाइवे पर ऐसी ही पट्‌टी फंक्शनल है?वर्तमान में,देश में ऐसी ही एक और हवाई पट्टी फंक्शनल है। उत्तर प्रदेश में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर विमान की लैंडिंग हो चुकी है।

आपको बताते चलें कि भारत से पहले जर्मनी, स्वीडन, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, ताइवान, स्विटज़रलैंड और फ़िनलैंड आदि अन्य कई देशों में ऐसा हो रहा है। वहां हाइवे और एक्सप्रेसवे पर विमानों की आपात लैंडिंग होती हैं। सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की ओर से रक्षा मंत्रालय को देशभर में 29 हाइवे सुझाए गए थे।

सामरिक महत्व, भौगोलिक जरूरतों के हिसाब से रक्षा मंत्रालय ने इनमें से 13 हाइवे को रनवे के तौर पर विकसित करने की सहमति दी थी।लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस पर हवाई पट्‌टी अभी फंक्शनल है। बाड़मेर-जैसलमेर हाइवे पर शुरू होने जा रही है। इनके अतिरिक्त निम्न हाइवे इनकी कतार में हैं।

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