कोरोना की कहानी… वो जीना चाहती थीं वो सिर्फ इतना चाहती थीं कि कोई उन्हें बचा ले!

नबीला ने फोन पर रोते रोते मेरी मॉ को बताया, आंटी कुछ दिन बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई लेकिन घर पहुंचते ही उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी उनकी सांसे उखड़ती जा रही थी उनकी बेचैनी बढती जा रही थी हम उनके सीने को पंप करने लगे तभी मम्मी ने इशारे से भैय्या को पास बुलाया और मुझे देखते हुए लड़खड़ाती आवाज़ में कहा, बेटा इसका ख्याल रखना, ये कह कर नबीला चुप हो गयी लेकिन उसके आंसूओं के शोर ने मुझे आज तक बेचैन कर रखा है ।  पढिये न्यूज डॉन रिपोर्टर मुस्कान की स्पेशल स्टोरी

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लखनऊ । चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस संक्रमण लगभग पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले चुका है। हर रोज़ मौत के आंकड़े सैकड़ों की संख्या में बढ़ जाते हैं और हज़ारों की संख्या में संक्रमितों की तादाद भी बढती जा रही है पूरी दुनिया में इस वायरस के कारण डर का माहौल है लेकिन इन सबके बीच उम्मीद की बात सिर्फ़ इतनी है कि बहुत से मामलों में लोग ठीक भी हुए हैं। 

हैलो, हॉ मैं मुस्कान बोल रही हूँ …. उधर से सुबकती हुई आवाज़ कानो में पड़ी तो लगा जैसे किसी ने दिल पर भारी पत्थर रख दिया हो! मैं नबीला हूँ मुस्कान, मम्मी.. नहीं रहीं। ये सुनते ही मेरे कदम लड़खड़ाये और मैं बेड पर गिर गयी ये देख कर मम्मी दौड़ कर मेरे पास आईं। मुस्कान क्या हुआ बच्चा ? मॉ! वो नबीला है ना, हॉ हॉ, नबीला तुम्हारी दोस्त । हॉ मॉ, उसकी मम्मी नहीं रहीं। हे भगवान! ये कह कर मम्मी भी रोने लगीं। 

आंटी ( नबीला की मम्मी) यही कोई 45-50 साल की होंगी उनके पति का पहले ही देहांत हो गया था वो लखनऊ के हनुमान मंदिर सेतु के पीछे वाले मुहल्ले में रहती थीं नबीला के भैय्या की मुहल्ले में ही किराने की दुकान है जिससे मुश्किल से घर का खर्च चलता है दो भाईयों में नबीला सबसे छोटी है। घर का खर्च चलाने के लिए आंटी भी काम करती थीं नबीला बताती है कि उन्हें पूरा यकीन था कि उन्हें काम के सिलसिले में इधर-उधर जाने से Covid 19 infection हुआ होगा। 

वो कहती है कि मम्मी सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन करती थीं मास्क लगाती थीं लेकिन उस रोज़ गुरुवार को जब वो काम से वापस लौटीं तो बता रही थीं कि जाते वक्त बस में भीड़ कुछ ज़्यादा थी बस में कुछ ऐसे लोग भी थे जो बार बार खांस रहे थे उनमें फ़्लू के लक्षण लग रहे थे।  

इस घटना के दस दिन बाद आंटी की हालत ख़राब होने लगी, नबीला ने बताया कि पहले इसका असर बहुत कम मालूम पड़ रहा था लेकिन बाद में मम्मी सीढ़ियां चढ़ने में दिक्कत महसूस करने लगीं ऐसे सांस लेने लगीं जैसे कोई बहुत बुजुर्ग हों कुछ दिन बाद उन्हें चलने फिरने में तक़लीफ़ होने लगी अब ऐसा लगने लगा कि कोरोना वायरस ने उनके फेफड़े पर हमला किया हो।

आंटी की बिगड़ती जा रही हालत को देख कर नबीला ने अपने रिश्तेदारों को फोन किया सोशल एक्टिविस्ट, पुलिस और प्रशासन को सोशल मीडिया पर टैग किया कुछ लोगों ने उसके पोस्ट को शेयर किया उसके ट्वीट को री ट्वीट किया, सोशल मीडिया के अलग अलग प्लेटफार्म के जरिये उसने मदद मांगी जिसके बाद बड़ी मुश्किल से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जा सका। 

अस्पताल ले जाने के बाद मम्मी के कई टेस्ट किये गए और स्वैब टेस्ट भी किया गया। डॉक्टरों को लगा कि उन्हें कोरोना वायरस संक्रमण है जिसके बाद उन्हें ऑक्सीजन पर रखने की जरूरत हुई लेकिन अस्पताल में आक्सीजन नहीं था, बिचारी नबीला रोती बिलखती इधर-उधर आक्सीजन सिलेंडर के लिए गिड़गिड़ाते हुए मम्मी के जान बचाने की गुहार करती रही उसके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वो ब्लैक में सिलेंडर खरीद सके जैसे तैसे सिलेंडर का जुगाड़ हुआ।

नबीला बताती है कि है कि मम्मी को अकेले अंधेरे कमरे में रखा गया था मम्मी कहती थीं कि “मुझे यहां से निकालो यहां मैं मर जाऊंगी मेरा जीवन ख़त्म हो जायेगा नबीला! प्लीज़ मुझे यहां से निकालो लेकिन मम्मी जीना चाहती थी। मैं उनके भीतर चल रही लड़ाई को महसूस कर सकती थी। मम्मी धीरे धीरे ठीक होने लगीं। 

नबीला ने फोन पर रोते रोते मेरी मॉ को बताया, आंटी कुछ दिन बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई लेकिन घर पहुंचते ही उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी उनकी सांसे उखड़ती जा रही थी उनकी बेचैनी बढती जा रही थी हम उनके सीने को पंप करने लगे तभी मम्मी ने इशारे से भैय्या को पास बुलाया और मुझे देखते हुए लड़खड़ाती आवाज़ में कहा, बेटा इसका ख्याल रखना, ये कह कर नबीला चुप हो गयी लेकिन उसके आंसूओं के शोर ने मुझे आज तक बेचैन कर रखा है। 

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