नई दिल्लीः नोटबंदी की मार ने जबर्दस्त परिवर्तन किया जब 15 साल का रिकॉर्ड भी टूट गया| और यही हुआ जब नोटबंदी का असर संसद के शीतकालीन सत्र पर पड़ा| 16 दिसंबर तक चला शीतकालीन सत्र पूरी तरह से इस बार नोटबंदी की भेंट चढ़ गया, नतीजा यह हुआ कि पिछले 15 वर्षों में इस सत्र में सबसे ज्यादा हंगामा और सबसे कम काम हुआ|
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के आंकड़ों के मुताबिक उत्पादकता के लिहाज से यदि बात की जाए तो लोकसभा के पास कामकाज के लिए 111 घंटे उपलब्ध थे लेकिन उसमें से केवल 19 घंटे काम हुआ और 92 घंटे बस हंगामा ही चलता रहा| आपको बता दें कि प्रश्नकाल में लोकसभा में 11 प्रतिशत सवालों के जवाब दिए गए जबकि राज्यसभा में महज 0.6 प्रतिशत सवालों का जवाब ही दिया गया, मलतब यह की लोकसभा ने काम के लिए निर्धारित एक घंटे के बदले पांच घंटे गंवाए और राज्यसभा में एक घंटे के बदले चार घंटे का समय बर्बाद हुआ |