गजब के नाथ!

वैचारिक रूप से दृढ़ लेकिन स्वभाव से सरल भारत के गृह मंत्री राजनाथ सिंह के व्यक्तित्व का आकलन करता लेख

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मुश्किल हालात को आसान बनाने की राजनाथ सिंह की क्षमता का कोई जवाब नहीं  पहली बार साल 1998 में ये क्षमता देखने को मिली थी जब उन्होंने कल्याण सिंह की सरकार बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस समय बसपा प्रमुख मायावती ने कल्याण सिंह की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था. तब राजनाथ सिंह ने अपने निजी संबंधों के आधार पर एक प्राइवेट एयरलाइन के ज़रिए कल्याण सिंह के समर्थन में तमाम विधायक जुटाए और अगली सुबह राष्ट्रपति के सामने बहुमत साबित कर दिखाया। उस एयरलाइन ने पहले से तय कमर्शियल फ़्लाइट को रद्द कर राजनाथ सिंह की मांग को तरजीह दी थी। 

इसी तरह जब कल्याण सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी के बीच मुश्किल हालात पैदा हुए तो राजनाथ सिंह ने बिना एक भी शब्द कहे अटल बिहारी का पक्ष अपनाया यहां तक कि मीडिया ने उनसे कई तरह के मुश्किल सवाल किए लेकिन राजनाथ ने सिर्फ़ एक मुस्कान के ज़रिए सभी मुश्किलों को टाल दिया ।इसमें कोई शक नहीं कि अटल बिहारी के दौर के बाद अब राजनाथ के भीतर ही वह कला बाक़ी रह गई है जहां वे उन लोगों के भी क़रीब रहने का हुनर जानते हैं जो उनसे विचारधारा से मेल नहीं खाते हों

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