महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ

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आज जनपद वाराणसी में महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी तथा अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा शिक्षा केन्द्र द्वारा ‘भारतीय ज्ञान परम्परा एवं प्राकृतिक चिकित्सा का गाँधीवादी मार्ग‘ विषय पर संयुक्त रूप से आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मटकी में जलधारा प्रवाहित कर जल भरो कार्यक्रम के साथ जल संरक्षण का संदेश भी दिया। समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा केवल बीमारी की ही चिकित्सा नही है। ये एक समग्र जीवन-दर्शन है। प्राकृतिक चिकित्सा का मुख्य बल इस बात पर है कि मनुष्य प्राकृतिक जीवन जीकर बीमार ही न पड़े। अप्राकृतिक खान-पान, रहन-सहन और आचार-विचार से ही मनुष्य बीमार पड़ता है।
जड़ी-बूटियों की प्रासंगिकता पर चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय परम्परागत ज्ञान में बीमारियों से जूझने के अनेक प्राकृतिक उपाय बताए गए हैं। कोविड कालखण्ड के दौरान जन-मानस ने इसका महत्व फिर से समझा। भारतीय परम्परागत ज्ञान पर ज्यादा से ज्यादा खोज किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया। इसी क्रम में महात्मा गाँधी जी द्वारा प्राकृतिक उपचार पर लिखे लेखों की चर्चा भी की।


स्वस्थ जीवन के लिए मोटे अनाज की उपयोगिता और जंक फूड के सेवन से बच्चों की सेहत पर होने वाले दुष्प्रभावों की चर्चा भी की। कहा कि आज प्राकृतिक चिकित्सा देश-विदेश में काफी लोकप्रिय होती जा रही है। लोगों का रूझान भी इस ओर बढ़ रहा है। इस पद्धति में शोध कार्यों को बल मिलना चाहिए ताकि इसे अधिक से अधिक उपयोगी बनाया जा सके।
अपने वाराणसी भ्रमण कार्यक्रम में आज इंस्टीट्यूट ऑफ फाइन आर्ट्स एवं संस्कार भारती विश्वविद्यालय, वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘काशी अंतर्राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी-2023‘ का उद्घाटन भी किया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि काशी अंतर्राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी एक ऐसा मंच है, जहाँ एक ओर युवा कलाकारों का शैक्षणिक एवं तकनीकी ज्ञान परिष्कृत होता है, वहीं दूसरी ओर देश-विदेश के कलाकारों का एक-दूसरे से परिचय भी होता है। इससे कलाकारों का उत्साहवर्द्धन, सम्मान और आर्थिक अर्जन भी होता है। इसके साथ ही इस प्रकार की प्रदर्शनियों से वैश्विक एकता, भाईचारा और आपसी सहयोग भी बढ़ता है।


भारतीय संस्कृति, कला और शिल्प विश्व भर में अनूठी और विशिष्ट है बताते हुए कहा कि यह हमारी विरासत है, धरोहर है और जीवनशैली है। कला की दृष्टि से भारत विश्व का एक अत्यन्त समृद्ध एवं गौरवशली देश रहा है।
कलाकृति निर्माण को एक साधना बताते हुए दर्शकों पर पड़ने वाले उसके सकरात्मक प्रभावों पर चर्चा भी की। कहा कि भारतीय परम्परा में कलाकार को सृजन की दृष्टि से ईश्वर के समकक्ष स्थान दिया गया है। इस अवसर पर लगाई गई प्रदर्शनियों में प्रदर्शित कलाकृतियां की सराहना की और सभी पुरस्कार प्राप्त कलाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं।

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