आज़म खान के बेटे अब्दुल्ला आज़म ने कहा कि उनके पिता को चुनाव आयोग ने इसलिए बैन किया क्योंकि वो मुसलमान हैं।
दरअसल अब्दुल्ला इस देश के खाये पीये अघाये चंद मुसलमानों की तरह “अज़हर सिंड्रोम” से पीड़ित है। आखिर ये अज़हर सिंड्रोम है क्या ? आइये मैं आपको बताता हूं कि “अज़हर सिंड्रोम” होता क्या है? भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन पर जब मैच फिक्सिंग के आरोपों के बाद बैन लगाया गया तो उन्होंने बयान दिया कि – “इस देश ने मुझे मुसलमान होने की सज़ा दी है”… अज़हर से ये सवाल पूछना चाहिए था कि तुम्हे उस दिन अपने मुसलमान होने का अहसास क्यो नही हुआ जब 3 शतक लगाने के बाद इस देश ने तुम्हे “Wonder boy” का तमगा दिया? तुम्हे मुसलमान होने का अहसास उस दिन क्यो नही हुआ जब तुम्हारी जादुइ कलाई से निकले शॉट्स से स्टेडियम अज्जू-अज्जू के नारों से गूंजता था? तुम्हे उस दिन मुसलमान होने का अहसास क्यो नही हुआ जब टीम में तुमसे 4 सीनियर प्लेयर (कपिल, वेंगसरकर, रवि, श्रीकांत… नोट कीजियेगा ये सारे हिन्दू थे) होने के बाद भी तुम्हे कप्तान बनाया गया? अज़हर भाईजान, तुम्हे अपने मुसलमान होने के अहसास उस दिन क्यो नही हुआ जब क्रिकेट के “भगवान” सचिन तेंदुलकर से बेहद अपमानजनक तरीके से कप्तानी छीन कर तुम्हे 1998 में वापस कप्तान बना दिया गया? तुम्हे अपने मुसलमान होने का दुख उसी दिन ही क्यो हुआ जब तुम पर मैच फिक्सिंग जैसे घिनौने आरोप के चलते बैन लगाया गया??? जबकि तुम्हारे साथ मनोज प्रभाकर, अजय शर्मा, अजय जडेजा, निखिल चोपड़ा को भी सज़ा हुई थी और जबकि ये सारे हिन्दू थे। अब फिर मुद्दे पर आते हैं, अब्दुल्ला भाई आपके आपके अब्बू के साथ साथ योगी आदित्यनाथ, मेनका गांधी और मायावती पर भी एक्शन हुआ है, और ये सब हिन्दू हैं। अल्लाह के वास्ते कृपया इस “अज़हर सिंड्रोम” से बाहर निकलने की कोशिश कीजिये और देश के मुसलमानों को बरगलाना बन्द कीजिये।