बेमिसाल बादशाह बेगम

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    आम तौर पर महिलाओं को हमारे समाज में दोयम दर्जे का माना जाता है और यह आज से नहीं बहुत पहले से है लेकिन अवध की कई बेगमो ने राज्य और परिवार के हित में कई ऐसे काम किये कि उनका नाम आज तक आदर से लिया जाता है | ऐसा ही एक वाकिया नवाब गाजिउद्दीन हैदर की पटरानी बादशाह बेगम से जुड़ा है वो ऐसी ही दम – ख़म वाली महिला थीं जब वे गुस्सा होतीं तो नवाब की दाढ़ी के बाल नोच लेती थीं, नवाब उन्हें इसीलिये आग का दरिया कहते थे | उनके कोई संतान नहीं थी | जब एक दासी को नवाब से गर्भ ठहर गया तो उस बच्चे को बादशाह बेगम ने सीने से लगाकर पाला जो अगला नवाब नसीरुद्दीन हैदर बंना | बेगम के हठी स्वभाव कि वजह से नसीरुद्दीन हैदर कि बेगम से नहीं बनी तो बेगम अल्मास बाग़ में रहने लगीं और उन्होंने अपनी सेना तैयार कर ली| नसीरुद्दीन हैदर से दुश्मनी के बावजूद उनके लड़के मुन्ना जान को उन्होंने बड़े जतन से पाला | बाद में जब दरबारी कुचक्रों की वजह से नसीरुद्दीन हैदर ने मुन्नाजान को नकार दिया तो मुन्नाजान को अगला नवाब बनाने के लिए बेगम ने अंग्रेजों से भयानक लड़ाई की और मुन्नाजान की ताजपोशी कर दी | हालांकि बाद में बेगम लड़ाई हार गईं | उन्हें और मुन्नाजान को चुनार के किले में कैद कर लिया गया वहीँ दोनों की मौत हुई | बेगम मरते मर गईं उन्होंने अंग्रेजों से माफ़ी नहीं मांगी | आज भी बेगम अवध के इतिहास में बेमिसाल हैं |

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