सुप्रीम कोर्ट ने कहा धीरूभाई अंबानी को पद्म विभूषण दिए जाने का फैसला सही

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सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस समूह के फाउंडर धीरूभाई अंबानी को पद्म विभूषण दिए जाने के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि उनको वह सम्मान मिलना ही चाहिए था। पद्म विभूषण भारत में मिलने वाला दूसरे नंबर का सबसे बड़ा पुरस्कार है। अंबानी को उनके मरणोपरांत पिछले साल पद्म विभूषण दिया गया था। धीरूभाई का वह सम्मान उनकी पत्नी कोकीलाबेन को राष्ट्रपति भवन में दिया गया था। कोकीलाबेन के साथ उस वक्त उनके दोनों बेटे अनिल और मुकेश भी पहुंचे थे। सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई थी कि अंबानी से वह सम्मान वापस लिया जाना चाहिए। उसपर कोर्ट ने कहा, ‘उनके वक्त में धीरूभाई अंबानी देश के सबसे बड़े उद्योगपति थे, तुम यह तय नहीं कर सकते कि किसको पद्म विभूषण दिया जाना चाहिए, या फिर नहीं, अगर कल तुमको वह पुरस्कार दे दिया जाए तो हम सवाल नहीं पूछ सकते।’ यह याचिका पीसी श्रीवास्तव नाम के वकील ने डाली थी। श्रीवास्तव ने कहा था कि अंबानी जिनका 2002 में निधन हुआ था, उन्होंने अपने जीवन काल में कोई असाधारण और विशिष्ट सेवा प्रदान नहीं की थी।

पूरा नाम धीरजलाल हिराचंद अम्बानी (धीरूभाई अम्बानी) एक प्रसिद्ध भारतीय व्यवसायी थे | जिन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना की। धीरुभाई की कहानी एक छोटे व्यापारी से बहुत बड़े व्यावसायिक टाइकून बनने की कहानी है। कई लोग अंबानी के अभूतपूर्व विकास के लिए सत्तारूढ़ राजनीतिज्ञों तक उनकी पहुँच को मानते हैं। उन्होंने मात्र हाईस्कूल तक की शिक्षा ग्रहण की थी पर अपने दृढ-संकल्प के बूते उन्होंने स्वयं का विशाल व्यापारिक और औद्योगिक साम्राज्य स्थापित किया। सिर्फ तीन दशकों में ही उन्होंने अपने छोटे से कारोबार को एक विशाल औद्योगिक कंपनी में बदल डाला। न सिर्फ भारत बल्कि अंतराष्ट्रीय बाजार में भी रिलायंस एक बड़ी व्यवसायिक ताकत के तौर पर उभरी। उनकी जोखिम उठाने की अपार क्षमता और अमोघ प्रवृत्ति ने उन्हें फोर्ब्स के सबसे धनि व्यक्तियों की सुची में पहुंचा दिया। अपने वित्तीय कौशल और सूझ-बूझ से धीरूभाई ने वास्तव में एक आधुनिक शेयर बाजार बनाया। साल 2012 के एकआंकड़े के हिसाब से रिलायंस इंडस्ट्रीज टॉप ‘500 फार्च्यून’ कंपनियों में से एक थी। धीरुभाई ने रिलायंस को वर्ष 1977 में सार्वजानिक क्षेत्र में सम्मिलित किया और एक आंकड़े के अनुसार वर्ष 2007 में उनके दोनों बेटे अनिल और मुकेश की सयुंक्त संपत्ति लगभग 100 अरब डॉलर थी। इस अकूत दौलत ने अम्बानी परिवार को विश्व के धनी परिवारों में से एक बना दिया।ऐसा कहा जाता है की परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए उन्होंने गिरनार के पास भजिए की एक दुकान लगाई, जो मुख्यतः यहां आने वाले पर्यटकों पर आश्रित थी। धीरूभाई अंबानी का जीवन फर्श से अर्श तक पहुंचने की कहानी है। कभी पेट्रोल पंप पर काम करने वाले धीरूभाई ने बाद में पालिस्‍टर के कारोबार में हाथ आजमाए। धीरे-धीरे उन्‍होंने अपना कारोबार बढ़ाया और रिलायंस इंडस्‍ट्रीज की स्‍थापना के साथ भारत में एक नए कारोबारी समूह का गठन किया। अपने दिमाग और अनूठी व्‍यवसायिक तकनीकों की बदौलत जल्‍द ही धीरूभाई ने रिलायंस को देश की सबसे बड़ी कंपनियों के बीच लाकर खड़ा कर दिया। हालांकि लाइसेंस राज के दौरान रिलायंस की दमनकारी कार्यशैली और अंबानी के देश के बड़े नेताओं से करीबी रिश्‍ते होने के आरोपों ने धीरूभाई को टाटा जैसा भरोसा तो नहीं दिया, मगर उन्‍होंने बाजार में अपना अलग मुकाम जरूर बना लिया।

 

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