आज यहां राजभवन स्थित गांधी सभागार में विश्व स्तनपान सप्ताह की प्रदेश भर में संचालित होने वाली गतिविधियों का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए कहा कि विश्वस्तर पर मां के दूध को सर्वोत्तम आहार मानते हुए शिशु को स्तनपान कराने के लिए वृहद अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन ये गंभीर चिंता का विषय है कि प्रदेश में माँ के द्वारा स्तनपान कराने के प्रतिशत में वृद्धि नहीं हुई। कहा इस दिशा में अभियान के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। इस वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह की वैश्विक थीम ‘स्तनपान प्रोत्साहन-समर्थन एवं सहयोग’ (Step up for Bresastfeeding: Educate & Support) रखी गयी है। सामाजिक स्तर पर इसमें सभी का योगदान आवश्यक है।
अपने सम्बोधन में राज्य में सरकारी, गैर सरकारी अस्पतालों तथा घरों में होने वाले प्रसव के अलग-अलग आंकड़े निकालने पर जोर दिया। इससे पता चल सकेगा कि स्तनपान न कराने की प्रवृत्ति किस जगह अधिक है। जहां कमी है वहीं पर कार्य करने की जरूरत है।
सरकारी अस्पतालों में हुए प्रसवों में शत-प्रतिशत शिशुओं को स्तनपान करवाने पर जोर दिया। निर्देश दिया कि सभी सी.एच.सी., पी.एच.सी., जनपदीय अस्पतालों तथा प्रसव केन्द्रों आदि पर एक बोर्ड लगाया जाए, जिस पर उस दिन होने वाले प्रसव तथा स्तनपान कराने का समय अनिवार्य रूप से अंकित किया जाए। ये सुझाव भी दिया कि ग्रामीण स्तर तक होने वाले संस्थागत प्रसवों की जानकारी के लिए ऐप विकसित कर लिया जाए, जिसमें प्रसवोपरांत शिशु को स्तनपान की जानकारी भी ली जाए। गाँवों में होने वाले गैर संस्थागत प्रसवों की जानकारी के लिए ग्राम-प्रधानों से सम्पर्क करने को कहा।
कहा माँ का दूध बच्चों को बाल्यकाल में होने वाली सभी बीमारियों जैसे-डायरिया, निमोनिया आदि से भी बचाव करता है। हमें माताओं को भी बताना होगा कि वे अपने शिशुओं को स्तनपान कराकर कुपोषण एवं अन्य रोगों से बचा सकती हैं।