मुख़्तार और मिश्रा क्या मैडम माया को पहुंचा पायेंगे पंचम तल!

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अब्राहम मिएराज

सपा के धर्मार्थ कार्य मंत्री विजय मिश्रा ने पिछले दिनों बसपा का दामन थाम लिया। इसके साथ ही पूर्वांचल के राजनीतिक  गलियारे में नयी हलचल शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि विजय मिश्र के बसपा में आने से ब्राह्मण मतदाताओं का बहुजन समाज पार्टी की तरफ झुकाव होना संभव है।इससे पहले अंसारी बंधुओं के बसपा में शामिल होने से मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव पहले से ही बसपा की तरफ बढ़ा है। अब ब्राह्मण मतदाता अगर बसपा में आते हैं तो चल के सियासी समीकरण में बदलाव होना तय है। हालांकि विजय मिश्रा का कद सपा में एक बड़े ब्राह्मण नेता के रूप में था। इसका वह कितना फायदा बसपा को पहुंचा सकते है यह तो वक्त ही बताएगा। गाजीपुर सदर विधानसभा सीट से विधायक रहे विजय मिश्रा ने नामांकन के अंतिम दिन बसपा की सदस्यता ग्रहण की। पूर्वांचल में बसपा को मजबूत करने में जुटी बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा के एक और कद्दावर नेता को अपनी पार्टी में जगह दी है। अब देखना है कि मिश्र के आने से बसपा कितनी मजबूत होती है।हाथी की मदमस्त चाल से विरोधी बेहाल ।अंसारी बंधुओं के रूप में मुस्लिम चेहरे को अपने पाले में लाने के बाद अब बीएसपी ने सपा के दिग्गज ब्राह्मण नेता विजय मिश्र को भी पार्टी से जोड़कर ब्राह्मण मत को भी अपनी तरफ मोड़ने का सियासी खेल खेला है।  विजय मिश्र के बसपा में आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि वह चुनाव लड़ने नहीं, बल्कि ब्राह्मण वोट को बसपा की तरफ मोड़ने और गाजीपुर तथा आस-पास की सीटों पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करेंगे।

यादव परिवार के चरखा दॉव से मिश्रा हुए चित्त |

दरअसल विजय मिश्रा कभी सपा के खास लोगों में गिने जाते थे पार्टी के अंदर के झगड़े का असर इन पर भी पड़ा और मुलायम से करीबी की वजह से अखिलेश से दूरियां बढ़ने लगीं दूरियां इतनी बढ़ गई कि उन्होंने सपा को सायोनारा कह दिया।

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