ज़हर से भी ज़हरीला होता जल.. सब हैं बेज़ार कोई नहीं ज़िम्मेदार!

अगर सचमुच आप पर्यावरण प्रेमी हैं, तो कसम खाइए कि आप पॉलीथिन यूज नहीं करेंगे, ज्यादा पानी नहीं बहाएंगे और पेड़-पौधों की कटाई, नदी में सीवर जाने का विरोध करेंगेे

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लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की लाइफ लाइन गोमती नदी का पानी जहर से भी ज्यादा खतरनाक लेवल पर पहुंच गया है जिसकी वजह से आस-पास की हवा भी जहरीली होती जा रही है फिर भी सब हैं बेज़ार कोई नहीं ज़िम्मेदार। इसी राजधानी में बड़बोले नेता, चिंतक – चाणक्य और लंतरानी करने वाले लेखक पर्यावरण के प्रोफेसर और एक्टिविस्ट बैठे हैं पर किसी को उससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ रहा है। सात समंदर पार एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग की भाषण ने लोगों के दिल को थरथरा दिया है, वह जब से भाषण सुने हैं बेचैन- बेचैन से हैं।

शहर भर का गुह-गलीज रोज गोमती में मिल कर, उसे खूब पवित्र कर रहा है। यहां ना तो, उसके लिए कोई धरना हो रहा है और ना ही कोई उम्दा प्रकार की नौटंकी। मोदी जी के घर क्योटो बनारस में अस्सी नदी सीवर के रुप में बनारस भर के कचरे और मल को लिए, गंगा जी में बेझिझक मिल रही है। मीडिया ना तो कभी इस चीज को दिखाती है और ना ही इस मुद्दे को कोई देखना पसंद करता है, क्योंकि यहां मुस्लिम इस्लामिक राष्ट्र, हिंदू राम मंदिर , इसाई धर्म विस्तार और पढ़ा-लिखा बेरोजगार मीम/व्यंग बनाने में लगा हैं। बाकि बहरुपिए टिकटॉक पर गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल पर अठखेलियां कर रहे हैं।
वाराणसी की स्थिति इतनी बद से भी ज्यादा बदतर होती चली जा रही है कि वाराणसी जिस वरुणा(नदी)+ अस्सी(नदी) के नाम पर है वह आज सिवर/नाले के रुप में पूर्णतः तब्दील हो गई है। देश में फर्जी ज्ञान देने वाले करोड़ो हैं, पर उन महानुभावों को ज्ञान देने से पहले इस बात की समझ होनी चाहिए की नदी ज्ञान देने से नहीं गणपात हटाने से साफ होगी, कचरा मल- मूत्र हटान से साफ होगी।


पर्यावरण की बात किसी ने की तो इन महानुभावों को पर्यावरण की याद आती है, वहीं इसी बनारस में गंगा की साफाई को लेकर स्वामी सानंद, स्वामी निगमानंद,स्वामी गोकुलानंद जैसे लोग भूखा-प्यासा अनसन पर बैठकर इस दुनिया से चल बसे, पर किसी को उससे रत्ती भर फर्क नहीं पड़ा वरन बहुतों को उनका नाम तक भी नहीं मालूम है।
अगर सचमुच आप पर्यावरण प्रेमी हैं, तो कसम खाइए कि आप पॉलीथिन यूज नहीं करेंगे, ज्यादा पानी नहीं बहाएंगे और पेड़-पौधों की कटाई, नदी में सीवर जाने का विरोध करेंगेे अगर यह सब करने की हिम्मत नहीं है तो पर्यावरण की नौटंकी करना बंद करिए, मेले बाबु ने थाना थाया की नही थाया पर ध्यान दिजिए वरना और कोई तो आपका साथ तो देगा नहीं, आपकी बाबू वाली सरकार में भी महाभियोग लग जाएगा , फिर हाथ मलते ही रह जाईयेगा। 

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