ट्विन टावर के शावर में रेन कोट स्नान करने वालों पर कसा जायेगा शिकंजा!

भ्रष्टाचार के ट्विन टॉवर के रूप में बदनाम नोयडा के सुपरटेक बिल्डर्स द्वारा निर्मित बहुमंजिला इमारत को रविवार को ध्वस्त कर दिया गया। लेकिन इस भीमकाय बिल्डिंग के रचनाकार क्या सिर्फ सुपरटेक बिल्डर्स हैं? कुछ ऐसे ही सवालों का जवाब तलाश करता वरिष्ठ स्तंभकार पवन सिंह का लेख

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लखनऊ  / नोएडा ।  उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर जिले की व्यावसायिक नगरी नोयडा  स्थित ट्विन टावर्स रविवार को गिरा दिए गये। वैसे अपने संस्कृति वाले देश में निर्माण या सृजन की पूजा होती रही है लेकिन अब विध्वंस या ध्वस्तीकरण की पूजा भी होने लगी है। एडिफिस कंपनी ने ट्विन टावर को जमींदोज करने से पूर्व विधिवत पूजा की कि-“गिरना तो सारे राज लेकर एकदम सीधे गिरना।” न्यूज चैनल्स, वाले अंतरराष्ट्रीय स्तर का विध्वंस की लाईव कवरेज में लगा दिए गये थे।  जैसे विश्व के इतिहास में पहली बार इस तरह से कोई बहुमंजिला बिल्डिंग ध्वस्त की गई हो।‌ 13 सालों तक बिल्डर टावर बनता रहा और ब्यूरोक्रेट्स से लेकर टेक्नोक्रेट्स सहित “निर्वाचित समाजसेवक” रेन कोट पहनकर कर नहाते रहे। इतना लंबा स्नान हो गया और आज सब अचानक पाक साफ हो‌ गया।

भ्रष्टाचार पर इमानदारी की चादर कैसे चढ़ाई जाती है उसका जीवंत उदाहरण है ट्विन टावर का गिराया जाना। हवा यह भरी गई कि यह भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा संदेश है!!….यह संदेश तो सफल तब होगा जब इस बिल्डिंग के निर्माण को होने देने वाले भी जमींदोज हों.. लेकिन ऐसा होगा नहीं क्योंकि देश में भ्रष्टाचारी रेन कोट पहनकर नहाते हैं। बिल्डरों और अधिकारियों के गठजोड़ ने सैकड़ों खरीददारों के साथ कैसे धोखाधड़ी की इसकी कहानी केवल पढ़ी जाएगी और एक दिन यह कहानी भी जमींदोज हो जाएगी।

भ्रष्टाचार की यह कहानी करीब डेढ़ दशक पहले शुरू होती है। नोएडा के सेक्टर 93-ए में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के लिए भूमि आवंटन का काम 23 नवंबर, 2004 को हुआ था। इस परियोजना के लिए नोएडा प्राधिकरण ने सुपरटेक कंपनी को 84,273 वर्गमीटर भूमि का आवंटन किया था। मार्च, 2005 मार्च में इसकी लीज डीड हुई लेकिन लैंड की पैमाइश में अधिकारियों वो बिल्डर के बीच खेल हुआ और बिल्डिंग के मैप के हिसाब से जहां पर 32 मंजिला एपेक्स और सियाने यानी ट्विन टावर खड़े थे, वहां पर ग्रीन पार्क एरिया होना था।इन ट्विन टावर में जिन लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे।उनका आरोप था कि बिना उन्हें विश्वास में लिए सुपरटेक बिल्डर्स ने इमारत का नक्शा ही बदल दिया। इससे नाराज फ्लैट्स खरीदने वाले चार लोग इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे और 2012 में याचिका दायर कर दी।

साल 2014 में अदालत ने ट्विन टावर को अवैध करार देते हुए इन्हें गिराने का आदेश जारी किया। सुपरटेक बिल्डर्स ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन राहत नहीं मिली और सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में इस बिल्डिंग को गिराने का आदेश जारी कर दिया।‌ एमराल्ड कोर्ट के रेसिडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष उदयभान सिंह तेवतिया ने मीडिया से कहा कि 2006 में जब हम लोगों ने यहां फ्लैट बुक किया और साल 2010 में रहने आए तो देखा कि जो सपना बिल्डर ने दिखाया था, वह टूट गया।

5 स्टार होटल जैसी सुविधा देने की बात कही गई थी। एक-एक फ्लैट की कीमत 1 करोड़ से भी ज्यादा थी। कुछ ही दिन के बाद सोसाइटी के लोगों को पता चला कि ग्रीन एरिया पर ट्वीन टावर बनेंगे। रेजीडेंट सोसायटी के लोग नोएडा प्राधिकरण पहुंचे और नक्शा मांगा तो मना कर दिया गया। बिल्डर से नक्शा मांगा जाता तो कहा जाता कि नोएडा अथॉरिटी के पास जाओ। निराश होकर चार लोगों ने 2012 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी और अंततः बिल्डिंग गिरा दी गई। बिल्डिंग गिराने में करीब 18 करोड़ का खर्च आया।

बिल्डिंग गिरा दी गई लेकिन सवाल‌ मुंह उठाए‌ खड़े हैं कि ये टावर बनने कैसे दिए गये? लैंड यूज बदला किसने? बिल्डर और नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों की सांठगांठ कितनी गहरी थी? किस-किस अधिकारी ने रेन कोट पहनकर कर भ्रष्टाचार की गंगोत्री में स्नान किया? इस गंगोत्री का पानी लखनऊ तक किन-किन ब्यूरोक्रेट्स और‌ टेक्नोक्रेट्स ने पिया? कौन-कौन ” निर्वाचित समाज सेवक” रेनकोट पहनकर नहाया? टावर जमींदोज हो गया है लेकिन सवाल वैसे ही खड़े हैं।

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