सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा, हम सीलबंद लिफ़ाफ़े के ख़िलाफ़ हैं

मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट का झटका: चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने केंद्र सरकार से कहा कि मैं 'सीलबंद लिफ़ाफ़ों के ख़िलाफ़ हूँ। दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट

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भारत का सर्वोच्च न्यायालय

लखनऊ / दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूर्व सैन्यकर्मियों को वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) के तहत बकाये के भुगतान पर बंद लिफ़ाफ़े में दी गई केंद्र सरकार की राय को स्वीकार करने से मना कर दिया। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा, “हमें सुप्रीम कोर्ट में इस बंद लिफ़ाफ़े वाले चलन को बंद करना होगा. ये मूलरूप से निष्पक्ष न्याय प्रक्रिया की व्यवस्था के विपरीत है.”

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “मैं निजी तौर पर बंद लिफ़ाफ़ों के ख़िलाफ़ हूं. अदालत में पारदर्शिता होनी चाहिए. ये आदेशों को लागू करने के बारे में हैं. इसमें गोपनीय क्या हो सकता है.”

सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ फ़िलहाल ओआरओपी बकाया भुगतान के लिए इंडियन एक्स-सर्विसमेन मूवमेंट (IESM) की याचिका पर सुनवाई कर रही है. इससे पहले 13 मार्च को हुई सुनवाई के दौरान भी शीर्ष न्यायालय ने चार किस्तों में ओआरओपी के बकाए का भुगतान करने के लिए केंद्र सरकार के फ़ैसले को ‘एकतरफ़ा’ बताया था. सुप्रीम कोर्ट ने इसी के साथ सोमवार यानी आज के लिए केंद्र से बकाया के भुगतान को लेकर एक नोट मांगा था।

इसमें केंद्र सरकार को बताना था कि कितना भुगतान बकाया है और इसे कितने समय में चुकाया जाएगा. इसी के साथ ये भी बताना था कि बुज़ुर्ग या विधवाओं को कैसे प्राथमिकता के साथ भुगतान किया जाएगा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो ओरआरओपी के तहत सशस्त्र बलों के वीरता पुरस्कार विजेताओं और पेंशनभोगी अन्य परिवारों को 30 अप्रैल 2023 कर बकाये का भुगतान करे. वहीं, 70 साल और उससे अधिक उम्र वाले पेंशनभोगियों को 30 जून 2023 तक और अन्य योग्य पेंशनभोगियों को बराबर किस्तों में 30 अगस्त 2023, 30 नवंबर 2023 और 28 फ़रवरी 2024 तक बकाया चुकाए।

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