लखनऊ / दिल्ली । मनुष्य को सबसे नजदीकी तारे तक पहुंचने के लिए सबसे तेज अंतरिक्ष यान को बनाने में अभी हजारों साल लगेंगे। जनरल ऑफ द ऑप्टिकल सोसाइटी ऑफ अमेरिका बी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान टेक्नोलॉजी से बाहर की सोच ही हमारे स्पेस ट्रैवल के समय को कम कर सकती है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक जितना बड़ा यान होगा उसे गति देना उतना ही कठिन होगा। विशेष रूप में जब आप प्रकाश की गति के करीब पहुंचते हैं तो यह स्वयं के ईंधन को ले जाने वाले किसी भी अंतरिक्ष यान के लिए एक बड़ी समस्या बन सकता है।
हमारी पृथ्वी के सबसे नजदीक अगर कोई तारा है तो वह अल्फा सेंचुरी है। अल्फा सेंचुरी पृथ्वी से 4.37 प्रकाश वर्ष दूर है। अगर वर्तमान टेक्नोलॉजी की मदद से इंसान इस जगह तक जाने की कोशिश करें तो उसे कम से कम 6000 वर्ष लगेंगे।
ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी में अप्लाइड मेट्रोलॉजी के पोस्ट डॉक्टोरल फैलोशिप चतुर बंडूतुंगा ने बताया की अल्फा सेंचुरी तक पहुंचने के लिए हमें आउट ऑफ द बॉक्स सोचना होगा। वर्तमान की युक्ति काम नहीं आएगी। हल्के वजन वाले अंतरिक्ष यान जा सकते हैं लेकिन उनमें बहुत ज्यादा ताकत की जरूरत होगी। दिक्कत यह है कि वह स्पेसक्राफ्ट अकेले इतनी लंबी यात्रा कर पाएगा या नहीं।
बीच में वैज्ञानिकों ने विचार किया धक्का मार कर किसी अंतरिक्ष यान को तेजी से किसी भी तरह पहुंचाया जा सकता है। लेकिन इससे खतरा है, क्योंकि लेजर की गर्मी और धक्के की वजह से यान कभी भी फट जाने की संभावना है।
हालांकि डॉ चतुर बंडूदुंगा ने बताया कि यह लेजर तकनीकी काम नहीं करेगी, क्योंकि इसमें धरती के वायुमंडल का काफी ज्यादा प्रभाव पड़ता है यह लेजर यान को अल्फख तक पहुंचाने से पहले ही कमजोर कर देगी।
डॉक्टर चतुर ने यह भी बताया कि टेलीस्कोप वायुमंडलीय बाधाओं को पार करने के लिए अडॉप्टिव ऑप्टिक्स नाम की प्रणाली का उपयोग करते हैं। अगर इसे पलट दिया जाए तो छोटा सा सेटेलाइट जो धरती की ओर करके वायुमंडल की बाधाओं का रियल टाइम नाप सकते हैं। इससे धरती पर मौजूद लेजर लाइट वायुमंडल के कमजोर हिस्से को चीरता हुआ स्पेसक्राफ्ट तक जा सकता है।
इतने ताकतवर लेजर को 100 GW ऊर्जा की आवश्यकता होगी। जबकि पूरा संयुक्त राज्य अमेरिका एक समय में 450 GW बिजली का उपयोग करता है। डॉक्टर चतुर और उनके सहयोगी डॉ पॉल शिवली ने कहा कि इतनी ऊर्जा की जरूरत सिर्फ 10 मिनट के लिए पड़ेगी। अगर पूरी ताकत से 10 मिनट के लिए लेजर लाइट से यान को धक्का दिया जाए तो यान बहुत दूरी तक का सफर कर सकता है।
लेजर लाइट से बचने के लिए ऐसे मिरर की आवश्यकता होगी जो 99.99% गर्मी सोखले और सिर्फ ऊर्जा को यान तक पहुंचाए, ताकि यान तेज गति से उड़ सके। यदि लांच सिस्टम विकसित हो जाएगा तो अंतरिक्ष के किसी भी हिस्से में जल्द ही पहुंचा जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो पृथ्वी के समान ग्रहों को खोजना भी आसान होगा।