लखनऊ / दिल्ली । राष्ट्रपति भवन की लकदक चकाचौंध वाले अशोक हॉल में मंगलवार को पद्म पुरस्कार प्रदान किये गये, कुल 119 पद्म पुरस्कारों में पद्मश्री के लिए जैसे ही तुलसी अम्मा का नाम पुकारा गया तो तुलसी अम्मा की दिव्यता के आगे शासन सत्ता शक्ति की भव्यता फीकी पड़ गयी। तुलसी अम्मा के सम्मोहन के सामने सत्ता का शीर्ष नतमस्तक नजर आ रहा था ।
कर्नाटक की इस असाधारण वनस्पति विशेषज्ञ पेड़-पौधों, जड़ी-बूटियों और वनस्पतियों के लिए अपना जीवन देने वाली तुलसी अम्मा को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। एक कपड़े में तन को ढंके और स्वाभिमान से सिर को उठाये उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है वो तस्वीर कभी हमारी आंख नम कर रही है तो कभी गर्व की अनूभूति दे रही है ।
तुलसी अम्मा को शायद पता भी नहीं होगा कि जो काम वो दशकों से सहज भाव से करती चली आ रही हैं उसके लिए भारत सरकार कोई सम्मान भी देती है! वो प्रकृति के साथ जीने वाली भोली भाली महामानव हैं । दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने कभी अपने पेड़-पौधे दिखा कर हाई प्राईफाइल पांच सितारा एनजीओ की तरह सरकार से मदद नहीं मांगी, कॉरपोरेट फंड नहीं मांगा , चंदा नहीं जुटाया , देश विदेश में सेमीनार आयोजित नहीं किये।
समाजसेवा के नाम पर समाज और सरकार को ठगने और अपना जलवा बिखेरने वाले एनजीओ की तरह तुलसी अम्मा ने कभी अपना प्रोमोशन नहीं किया ना ही अखबारों के पेज थ्री पर नेताओं , अधिकारियों , नामचीन हस्तियों के साथ जाम छलकाते हुए फोटो ही छपवायी, अम्मा अंग्रेंजीदा भी नहीं है अपनी इमेज के पेंट पॉलिश के लिए उन्होंने कोई पीआर एजेंसी भी हायर नहीं की । लेकिन आज पूरा देश इस महामानव के प्रति श्रद्धा आदर से नतमस्तक है ।
तुलसी अम्मा की छवि आंखों के साथ साथ दिल में समा गयी है और समझ में आ रहा है कि हमारा भारत कैसे हर झंझावात का सफलतापूर्वक सामना करता रहा है निश्चय ही हमारे देश को तुलसी अम्मा जैसे लोगों की निस्वार्थ सेवा और कर्तव्य परायणता ने सभ्यता एवं मानवता के शीर्ष पर पहुंचाया है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत गणराज्य के राज्य का गण के द्वार तक पहुंचने का सिलसिला पिछले कुछ सालों से लगातार देखने में आ रहा है। देखा गया कि जल जंगल जमीन से जुड़ी तुलसी अम्मा तक सरकार स्वयं पहुंच गयी । राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल के रेड कॉरपेट पर हाई हील के सैंडिल और डिज़ाइनर ड्रैस पहन कर जाने की परंपरा रही है लेकिन नंगे पांव चल कर साधारण परंपरागत एकवस्त्रा वस्त्र विन्यास में भी सम्मान के असली हकदार पिछले कुछ वर्षों से वहाँ पहुंच रहे हैं ।
सच्चाई, इमानदारी, सेवा एवं कर्तव्यनिष्ठा को अपने जीवन में उतारने वाले विभूतियों का चयन करने वालों को प्रणाम और पुरस्कार देने वालों को प्रणाम। तुलसी अम्मा तुम्हारे बारे में क्या लिखूँ एक बच्चा अपनी मॉ के बारे में क्या बोल सकता है सिवाय इसके कि, मॉ तुझे सलाम । तुलसी अम्मा, तुझे सलाम। भारत को बधाई, आज पद्मश्री सम्मानित हो गया ।
जय हिंद
तुलसी मां तुझे सलाम। बहुत ही भावनात्मक एवम शानदार लेख । क्या खूब लिखा आपने कि आज पदमश्री पुरस्कृत होगया। शानदार लेखनी के लिए आपको शुभकामनाये।
धन्यवाद विवेक राय, आप जैसे सुधि पाठकों की प्रतिक्रिया से समाज के प्रति हमारा उत्तरदायित्व भी बढ़ जाता है और उतसाह भी।
बहुत बहुत शुक्रिया