लखनऊ / दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संसद के नये भवन के शीर्ष पर स्थापित कांस्य से बने राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह को राष्ट्र को समर्पित किया। सारनाथ के अशोक स्तंभ पर स्थित प्रतीक चिह्न से नये प्रतीक चिह्न का आकार प्रकार एवं भाव भंगिमा अलग होने पर सोशल मीडिया पर लोग सवाल खड़े कर रहे हैं।
सोशल मीडिया के एक यूजर ने लिखा है कि अशोक स्तंभ का चार शेरों वाला स्तंभ भारत के राष्ट्रीय चिह्न के रूप में विख्यात है। पर आज जिस राष्ट्रीय चिह्न के नाम पर चार शेरो वाले प्रतीक का प्रधानमंत्री ने उद्घाटन किया है, उसके शेरों के भाव और अशोक स्तंभ सारनाथ के शेरों के भाव से अलग दिख रहे हैं। शेरों के शरीर भी मूल स्तंभ के शेरों से अलग और बेडौल हैं साथ ही उनके मुंह अधिक खुले हैं।
अन्य यूजर का कहना है कि मूल स्तंभ के शेरों में जो गरिमा, भव्यता और सिंहत्व, अकारण ही लोगों की नजर खींच लेता है वह इस नए बने प्रतीक में नहीं है। या तो इस प्रतीक को पत्थरों को गढ़ने वाले संगतराश, या मूर्तिकार, अशोक स्तंभ सारनाथ के चार शेरों के भाव को समझ नहीं पाए या वे उन्हें पत्थरों के उतार नहीं पाए। मूर्तिकला केवल पत्थरों को तराशना ही नहीं होता है बल्कि वह पत्थरों में एक प्रकार से जान डालना भी होता है।
एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा है कि सारनाथ म्यूजियम में जो मित्र, घूमने गए हैं वे यह भलीभांति जानते हैं कि म्यूजियम के मुख्य हॉल के बीच में रखा गया चार शेरो वाला भव्य स्तंभ न केवल अपनी विलक्षण पॉलिश के लिए प्रसिद्ध है बल्कि भव्यता, राजत्व, गरिमा और मूर्तिकला का एक अनुपम उदाहरण भी है। साथ ही, अब तो, वह देश का मुख्य प्रतीक भी है।