गाना सुनाते, खाना खिलाते, रेगिस्तान झरने पहाड़ों की सैर कराते आठ हजार रुपये में लखनऊ से लंदन पहुंचाती थी वो बस!

न्यूज डॉन ने गूगल और अन्य सर्च इंजन के जरिये कोलकाता से लंदन  के मौजूदा सडक़ सम्पर्क के बारे में पूछे जाने पर कोई विकल्प नहीं होने का जवाब मिलता है। हो सकता है 70 के दशक में ऐसी बस चलती रही हो

1
2969

लखनऊ / कोलकाता। क्या आप जानते हैं कि संसार का सबसे लंबा बस रुट कलकत्ता से लंदन तक जाता था।  15 अप्रैल 1957 को इस रुट पर अंतरराष्ट्रीय बस सेवा शुरू हुई थी, अल्बर्ट ट्रेवल बस सर्विस के ब्रोशर के अनुसार बस बंगाल के कलकत्ता से चल कर बिहार होते हुए उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर में प्रवेश करती थी, गाजीपुर से वाया बनारस ये बस लखनऊ पहुंचती थी। उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक राजधानी में त्रेता युग से लेकर आधुनिक भारत की तमाम धरोहरों का अवलोकन करने के लिए बस यहां कुछ देर तक रुकती थी। यहां से आगरा होते हुए दिल्ली और फिर अमृतसर वाघा बार्डर होते हुए पाकिस्तान के लाहौर में प्रवेश करती थी।  

पाकिस्तान से बस अफगानिस्तान की राजधानी काबुल, हैरात में रुकती थी वहां से बस ईरान की राजधानी तेहरान और तुर्की के इस्तानबुल होते हुये यूरोप में प्रवेश करती थी। यूरोपीय देशों बुल्गारिया, यूगोस्लाविया, आस्ट्रिया जर्मनी, फ्रांस बेल्जियम  होती हुई लगभग 7900 किलोमीटर का सफ़र तय करते हुए तकरीबन 50 दिनों में लंदन पहुंचती थी।

अलबर्ट ट्रेवल की बस सेवा का ब्रोशर बस में मौजूद सुविधाओं का भी जिक्र करता है। बस में पढऩे के लिए सुसज्जित लाइब्रेरी, व्यक्तिगत स्लीपिंग बंक्स, पार्टी या सेलिब्रेशन के लिए रेडियो टेप संगीत का इंतजाम किया गया था और तापमान नियंत्रित करने के लिए फैन हीटर उपलब्ध होने की बात भी बताई गई है । 

भइया अब पहियों पर आधी दुनिया घूमने का किराया कितना था। यह सवाल भी उठा तो ब्रोशर के मुताबिक 1957 में इसका किराया 85 पौंड यानी 8755 रुपये था और 1973 में बस सेवा बंद होने तक ये बढ़कर 145 पौंड यानी 14953 रुपये हो गया था। गौरतलब है कि अल्बर्ट ट्रैवेल की बस सेवा 1957 से शुरू हो कर 1973 तक चलती रही। 

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों पर तरह तरह की प्रतिक्रियााएं सामने आ रही हैैं । हमाारी रिपोर्टर  मुस्कान ने इस विषय पर लोगों से बातचीत की है  

लखनऊ यूनिवर्सिटी के टूरिज्म डिपार्टमेंट की छात्रा आलिया का कहना है कि  कोई बिना पासपोर्ट-वीसा के अंतर महाद्वीपीय यात्रा कैैसे कर सकता है तो वहीं लॉ डिपार्टमेंट के छात्र रोहित ने ऐसी यात्रा को महज़ कल्पना बता रहे है  कुछ लोग ऐसे भी मिले जिन्होंने ऐसी यात्रा करने की इच्छा जाहिर की, लखनऊ के ख्वाजा मुईनुददीन चिश्ती लैंग्वेज यूनिवर्सिटी के मीडिया की स्टूडेंट जुलेखा ने कहा कि वो बस से पूरी दुनिया की सैर करना चाहती हैं उन्होंने बॉलीवुड फिल्म दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे वाली स्टोरी को इस बस सर्विस से प्रेरित होने की तरफ इशारा किया हालांकि हमारी पड़ताल में उस दौर में इस बस सेवा का लाभ उठाने वाला एक भी  यात्री अब तक सामने नहीं आया है। 

न्यूज डॉन ने गूगल और अन्य सर्च इंजन के जरिये कोलकाता से लंदन  के मौजूदा सडक़ सम्पर्क के बारे में पूछे जाने पर कोई विकल्प नहीं होने का जवाब मिलता है। हो सकता है 70 के दशक में ऐसी बस चलती रही हो और लोग दर्जनों देशों, संस्कृतियों, खान पान के कलेवर का आनंद उठाते हुए पखवाड़े भर में लंदन से कोलकाता आते जाते रहे हों।

1 COMMENT

LEAVE A REPLY