लखनऊ / दिल्ली । सरकारी कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (LIC) की एक ट्रेड यूनियन ने कहा है कि कंपनी का IPO लाने से नौकरियों का नुकसान हो सकता है। इसके साथ ही LIC की ओर से सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर पर किए जाने वाले खर्च में भी कमी आने की आशंका है। सरकार इस फाइनेंशियल ईयर में LIC का पब्लिक ऑफर लाना चाहती है।
ऑल इंडिया LIC एंप्लॉयीज फेडरेशन के जनरल सेक्रेटरी, राजेश कुमार ने कहा कि IPO के बाद कंपनी को शुरू करने के लक्ष्य को पूरा करने के बजाय यह इनवेस्टमेंट पर अधिकतम प्रॉफिट हासिल करने पर जोर दे सकती है। LIC आईपीओ को लेकर बड़ी खबर आई है. केंद्र सरकार मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2021-22 के अंत तक आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है।
आईपीओ को लेकर केंद्र सरकार ने तैयारी तेज कर दी है न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, आईपीओ मौजूदा वित्त वर्ष के अंत यानी मार्च 2022 तक आ सकता है. सरकार इसके जरिए 50,000 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी कर रही है. आईपीओ के इश्यू साइज का अधिकतम 10 फीसदी पॉलिसी होल्डर्स के लिए रिजर्व रहेगा।
प्रस्तावित आईपीओ के लिए सरकार पहले ही जरूरी कानूनी बदलाव कर चुकी है. इसके अलावा डेलॉयट और एसबीआई कैप्स को प्री-आईपीओ ट्रांजैक्शन एडवाइजर्स के तौर पर नियुक्त कर दिया गया है.केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश और निजीकरण के जरिये 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया है।
इस ट्रेड यूनियन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सांसदों का लेटर लिखकर एलआईसी की लिस्टिंग का विरोध किया है. यूनियन एलआईसी की हिस्सेदारी बेचने के खिलाफ अभियान चलाने की भी तैयारी कर रहा है. उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचना एक जानबूझकर अपनाई गई बर्बादी वाली नीति है।