नये नवेले IPS आदर्श शुक्ला से News DON ने पूछा, क्या Civil Services Crack करने के लिए लाखों की कोचिंग जरूरी है? उन्होंने क्या कहा! जानने के लिए पढिये पूरा इंटरव्यू

आईये जानते हैं आदर्श शुक्ला के सफलता एवं संघर्षों की कहानी, न्यूज डॉन की ज़ुबानी । हमारी रिपोर्टर ज़ीनत ने उनसे बात की है ।

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लखनऊ / दिल्ली / बाराबंकी । संघ लोक सेवा आयोग ने देश की सबसे कठिन और प्रतिष्ठित नागरिक सेवा Civil Services 2020 के परीक्षा परिणाम शुक्रवार  देर शाम जारी कर दिये। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पड़ोसी जिले बाराबंकी के आदर्श शुक्ला ने अपने पहले प्रयास में 149 वीं रैंक प्राप्त कर IPS कैडर हासिल किया है। महज 21 वर्ष की आयु में पहले ही प्रयास में सफलता पाने वाले आदर्श इसका श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं।

आईये जानते हैं आदर्श शुक्ला के सफलता एवं संघर्षों की कहानी, न्यूज डॉन की ज़ुबानी । हमारी रिपोर्टर ज़ीनत ने उनसे बात की है।

ज़ीनत : आदर्श जी न्यूज़ डॉन की तरफ से आपको आईपीएस कैडर की बधाई और आईएएस के लिए शुभकामनाएं।

आदर्श शुक्ला : शुक्रिया ज़ीनत जी

ज़ीनत : आम तौर पर ये देखा जा रहा है कि सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए अभ्यर्थी महंगी कोचिंग संस्थानों की ओर रुख करते हैं क्या, सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए लाखों की फीस लेने वाले कोचिंग संस्थान जरूरी हैं?

आदर्श शुक्ला : सिविल सर्विसेज (CIVIL SERVICES) में जाने की ख्वाहिश रखने वालों के लिए जरूरी नहीं कि वे महंगी कोचिंग करें या बड़े शहरों में जाकर ही तैयारी करें। घर पर भी नियमित और पाठ्यक्रम के अनुरूप पढ़ाई करके सफलता हासिल की जा सकती है।

ज़ीनत : जब मैं इस इंटरव्यू के लिए तैयारी कर रही थी तो रिसर्च के दौरान मैंने देखा कि आप एक सामान्य परिवार से संबंध रखते हैं आपके परिवार को भी एक लोअर मीडिल क्लास फैमिली के आम भारतीय की तरह ही जीवन के संघर्षों का सामना करना पड़ा है।

आदर्श शुक्ला : जी ये सच है कि रोजी रोटी और हम लोगों की परवरिश एवं पढ़ाई के लिए मेरे परिवार ने काफी संघर्ष किया है मेरे पिता जी एक प्राइवेट कंपनी में अकाउंटेंट हैं ( थोड़ा भावुक होते हुए ) दुनिया के लिये और मीडिया के लिए मेरी मॉ एक गृहणी होंगी लेकिन मेरे और मेरी बहन के लिए वो जीवन निर्मात्री हैं।

आपको बता दें कि मूल रूप से बाराबंकी जिले के मढ़ना रामनगर के रहने वाले आदर्श के पिता राधाकांत शुक्ला दो दशक पहले बाराबंकी आकर रहने लगे। मयूर विहार कालोनी में रहने वाले राधाकांत शुक्ला एक प्राइवेट कंपनी में अकाउंटेंट हैं, जबकि आदर्श की मां गीता शुक्ला गृहणी हैं आदर्श की एक बड़ी बहन स्नेहा शुक्ला हैं जिन्होंने एलएलएम किया है और वो पीसीएस जे की तैयारी कर रही हैं।

बाराबंकी नगर के साईं इंटर कालेज से प्रारंभिक पढ़ाई करने वाले आदर्श ने यहीं से इंटर किया. पढ़ाई में वे शुरू से ही मेधावी रहे. वर्ष 2013 में हाईस्कूल में आदर्श ने यूपी की मेरिट में छठवां स्थान हासिल किया था. इंटर में भी 93.4 फीसदी अंक हासिल किए थे. उसके बाद आदर्श शुक्ला ने लखनऊ के नेशनल पीजी कालेज  से फिजिक्स, केमेस्ट्री और मैथ विषयों के साथ बीएससी की।

ज़ीनत : आपने सिविल सर्विसेज के बारे में कब सोचना शुरू किया और कब से इसकी तैयारी शुरू की।

बचपन से ही सिविल सर्विसेज में जाने का सपना था, लिहाजा मैंने घर पर ही तैयारी शुरू कर दी। तैयारी के लिए बड़े शहरों की ओर रुख करने या कोचिंग करने की बजाय मैंने घर पर ही नियमित और हार्ड वर्क शुरू किया बड़ी बहन और मम्मी पापा ने बहुत सपोर्ट किया जिसका नतीजा आपके सामने है।

ज़ीनत : मुझे रिसर्च के दौरान पता चला कि आपको क्रिकेट का शौक है और आप बुक रीडिंग खूब करते हैं क्या शौक और हॉबी को इंजाय करते हुए सिविल सर्विसेज क्रैक कर पाना आसान है?

आदर्श शुक्ला ( हंसते हुए) ज़ीनत आपने रिसर्च तो खूब की है दरअसल शौक और हॉबीज हमारे टेंशन को रीलिज करते हैं और जब हम टेंशन फ्री होते हैं तब हम अपने विषय अपने विचार अपनी कमियों और अपनी खूबियों को समग्रता मे रख कर सहीं कार्यनीति बना पाते हैं।

सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को न्यूज़ डॉन के जरिये क्या संदेश देना चाहते हैं।

आदर्श शुक्ला : ये सच है कि सिविल सर्विसेज की परीक्षा देश की कठिनतम परीक्षा है लेकिन असंभव परीक्षा नहीं है प्रतिदिन 07 से 08 घण्टे की नियमित पढ़ाई से सफलता हासिल की जा सकती है। हॉ ऑनलाइन ट्यूटोरियल की भी मदद ली जा सकती है ये याद रखना चाहिए कि कोचिंग संस्थान आपकी हेल्प कर सकते हैं लेकिन अंततः सेल्फ स्टडी ही आपको सफलता के मुकाम पर खड़े करती है।

ज़ीनत : न्यूज डॉन से अपने सफलता एवं संघर्षों की कहानी साझा करने के लिए बहुत धन्यावाद आदर्श जी।

आदर्श शुक्ला : शुक्रिया ज़ीनत शुक्रिया, न्यूज डॉन ।

आपको बताते चलें कि IPS आदर्श शुक्ला का सपना आईएएस (IAS) बनने का है, इसलिए वो वर्ष 2021 में फिर से परीक्षा में शामिल होंगे आदर्श कहते हैं कि समाज का जिम्मेदार नागरिक बन सकूं, समाज को कुछ दे सकूं मम्मी पापा के आदर्शों पर खरा उतर सकूं यही आदर्श की इच्छा है।

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