वफादार कौन, कुत्ता या इंसान? पढ़िये ये स्टोरी… गॉव में किसी के मौत का पता चलते ही उसके दरवाजे पर पहुंच जाता है वो रोता है और फिर कब्रिस्तान तक साथ जाता है

कहते है कि कुत्ता इंसान का सबसे वफादार साथी होता है और अपने मालिक का आख़री सांस तक साथ निभाता है। मगर आज हम आपको एक ऐसे कुत्ते के बारे में बताने जा रहे हैं जो गांव भर में किसी की भी मौत होने पर फ़ौरन उनके दरवाजे पर पहुंच कर बैठ जाता है।

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लखनऊ / दिल्ली / सहारनपुर। कहते है कि कुत्ता इंसान का सबसे वफादार साथी होता है और अपने मालिक का आख़री सांस तक साथ निभाता है हालांकि जानवरों से ये उम्मीद नहीं की जाती, वफा की उम्मीद इंसान से की जाती है लेकिन कहते हैं ना कि जिस चीज की उम्मीद जहाँ से होती है वो वहां नहीं मिलती, बहुत पहले “तेरी मेहरबानियां” नाम की एक हिन्दी फिल्म रिलीज हुई थी जिसमें कुत्ते की वफादारी दिखाई गई थी।

आज हम आपको एक ऐसे ही कुत्ते के बारे में बताने जा रहे हैं जो गांव भर में किसी की भी मौत होने पर फ़ौरन उनके दरवाजे पर पहुंच कर बैठ जाता है उसके चेहरे पर उदासी और आंखों में आंसू होते हैं उसके बाद जब जनाज़े को नमाज़ के लिए किसी मैदान में ले जाया जाता है तो वो साथ साथ जाता है और नमाज़े जनाज़ा के जब क़ब्रिस्तान में दफनाने के लिए लेकर जाते हैं तब भी वो साथ साथ चलता है।

पूरे वक़्त वहां मौजूद रहता है और दफनाने के बाद जब सब वापिस आते हैं तो सबके साथ वापिस आता है, ये कुत्ता है नकुड़ तहसील के गांव खेड़ा अफ़ग़ान में, जिसको मैंने जनाज़े के हर मामले में साथ साथ ख़ुद अपनी आंखों से देखा, गांव के तमाम मुअज़्ज़िज़ लोगों से इस बारे में बातचीत की तो अजब गजब जानकारी सामने आई, ग्रामीणों के मुताबिक ये कुत्ता आवारा गली टाइप का कुत्ता है और ये सिलसिला लंबे अरसे से चलता आ रहा है।

गांव में किसी के भी घर मौत होती है तो इसको पता नही कैसे जानकारी हो जाती है और ये फ़ौरन उस घर के बाहर जाकर एक तरफ़ सकून से बैठ जाता है। उसके बाद घर से नमाज़ के लिये जनाज़ा ले जाते वक्त और दफनाते वक़्त तक मुकम्मल तौर पर साथ साथ रहता है। कमाल ये कि इस बीच मे न कभी भोंकता और न किसी को नुकसान पहुंचाता है।

कई बार इसको लोगों ने भगाने की कोशिश की मगर ये कभी जनाज़े को छोड़कर नही भागा, ग्रामीणों के मुताबिक़ कई बार जनाज़े के वक़्त इसको खाना देने की कोशिश की गई मगर इसने कभी खाने को मुह तक नही लगाया! दूसरीं बात, ग्रामीणों ने बड़ी हैरानी की ये बात बताई कि आम तौर पर कोई भी गली का कुत्ता दुसरे इलाके में जाता है तो उस एरिया के कुत्ते उसको भगा देते हैं या ज़ख्मी कर देते हैं । मगर हर जनाज़े में शिरकत के दौरान आते जाते कभी किसी दूसरे कुत्ते ने इसको कभी नुकसान नही पहुंचाया।

बहरहाल काफ़ी लोगो से इस बारे में बातचीत की लेकिन कोई भी ये आज तक नही समझ पाया कि आख़िर ऐसी क्या वजह है जो इस कुत्ते को गांव में किसी की भी मौत का इल्म हो जाता है और ये उसके घर फ़ौरन पहुंच जाता है? और ये जनाज़े की आख़री रसूमात तक साथ निभाता है और वो भी एक बार भी बिना भोंके पूरी संजीदगी के साथ।

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