खेल रतन, देश रतन। हॉकी के अनमोल रतन

हॉकी भारत में एक लोकप्रिय खेलों में शामिल है. भारत ने वर्ष 1928 से 1956 तक ओलंपिक में लगातार 6 बार स्वर्ण पदक जीते हैं। हॉकी के जादूगर के रूप में मेजर ध्यानचंद का सिक्का तो पू​री दुनिया में चला है।

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लखनऊ / दिल्ली । यूरोप के देश ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना के स्पोर्ट्स क्लब में एक इंसान की चार हाथ वाली मूर्ति लगी है और हर हाथ में हॉकी स्टिक है। उससे भी अद्भुत बात यह है कि यह ऑस्ट्रिया का हॉकी खिलाड़ी नहीं है, यह मूर्ति है भारत के महान सपूत मेजर ध्यानचंद सिंह की। हॉकी में उनकी जादूगरी को सलाम करती है यह मूर्ति।

अब क्रिकेट के महानतम बल्लेबाज सर डॉन ब्रैडमैन को भी सुन लीजिए। मेजर ध्यानचंद का मैच देखने के बाद दांतो तले उंगली दबा लेने के वाले ब्रैडमैन ने कहा था, जैसे हम क्रिकेट में रन बनाते हैं, वैसे ध्यानचंद हॉकी में गोल करते हैं।

ओलंपिक गेम्स (Tokyo Olympics Games) खत्म हो चुके हैं बहरहाल इसी दौरान शोशल मीडिया पर प्रशंसा और आलोचना से भरे तमाम सारे पोस्ट नजर आए। सैकड़ों ऐसे पोस्ट थे, जिनमें हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल बताया गया। लेकिन क्या हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है? नही, हम आपको बता दें कि हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल नहीं है।

दरअसल, भारत के राष्ट्रीय खेल को लेकर कई बार सवाल उठ चुके हैं, लेकिन सरकार भी बता चुकी है कि भारत का कोई राष्ट्रीय खेल है ही नहीं। सरकार का उद्देश्य सभी लोकप्रिय खेलों को प्रोत्साहित करना है। काफी साल पहले ऐश्वर्य पराशर ने भी आरटीआई के माध्यम से यही सवाल पूछा था कि ‘भारत सरकार ने किस खेल को राष्ट्रीय खेल के रूप में मान्यता दी है?, तब जवाब मिला था कि हॉकी सामान्य खेलों में एक राष्ट्रीय खेल के रूप में जाना जाता है. हॉकी को प्राथमिकता दी गई है लेकिन यह राष्ट्रीय खेल नहीं है।

बता दें कि हॉकी भारत में एक लोकप्रिय खेलों में शामिल है. भारत ने वर्ष 1928 से 1956 तक ओलंपिक में लगातार 6 बार स्वर्ण पदक जीते हैं। हॉकी के जादूगर के रूप में मेजर ध्यानचंद का सिक्का तो पू​री दुनिया में चला है। इस बार तो अब मोदी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी खेल रत्न का नाम मेजर ध्यानचंद के नाम पर कर दिया है। उम्मीद है कि जल्द ही देश के करोड़ों हॉकीप्रेमीयों व देशवासियों की यह ख्वाहिश पूरी होगी कि मेजर ध्यानचंद भी भारत रत्न से सुशोभित हों!

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